खुलासा: यूएस ने पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को सबूत देकर बताया था आईएसआई ने कराया उरी आतंकी हमला

नई दिल्ली। पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने अपनी यादों पर एक किताब लिखी है। इसका नाम “एंगर मैनेजमेंट” है। इसमें बिसारिया ने कई अहम घटनाओं के रहस्यों को उजागर किया है। इनमें से एक उरी आतंकी हमला है। आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के उरी में स्थित भारतीय सेना के बेस पर सितंबर 2016 में हमला किया था, जिसके चलते 19 जवानों की मौत हुई थी। अमेरिका ने पाकिस्तान को सबूत देकर बताया था कि हमला उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कराया है।

पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ने पाकिस्तान के उस वक्त के पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। उन्होंने शरीफ को एक फाइल सौंपी। इसमें सबूत के साथ बताया गया था कि उरी हमलों की योजना बनाने में आईएसआई की मिलीभगत है। सबूत इतने पक्के थे कि पाकिस्तानी सेना का सामना करने के लिए शरीफ के संकल्प को बढ़ावा मिला। इससे घटनाओं की एक श्रृंखला को गति मिली, जिसके कारण 2017 में पीएमएल-एन पार्टी प्रमुख नवाज शरीफ को उनके पद से हटा दिया गया और उन्हें 2018 में आत्म-निर्वासन में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पहले यह जानकारी सामने नहीं आई थी कि उरी हमले के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को सबूत दिए और पुष्टि की कि हमला पाकिस्तानी आतंकी संगठन ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की मदद के किया। अपनी किताब में बिसारिया ने उस अमेरिकी दूत का नाम नहीं बताया है जिसने शरीफ से मुलाकात की, लेकिन उस वक्त यह पद डेविड हेल के पास था।

जनवरी 2016 में पठानकोट में भारतीय वायु सेना अड्डे पर हुए आतंकी हमले के लिए भी जैश-ए-मोहम्मद को दोषी ठहराया गया था। उरी हमला भारत-पाकिस्तान संबंध के लिए अहम मोड़ साबित हुआ था। 2014 में पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ रिश्ते अच्छे रखने की कोशिश की थी। वह 2015 में नवाज शरीफ की पोती की शादी में शामिल होने लाहौर गए थे। जनवरी 2016 में पठानकोट हमला और फिर सितंबर 2016 में उरी हमला ने भारत-पाकिस्तान के संबंधों को बेहतर बनाने की संभावनाओं को पटरी से उतार दिया था। इसके बाद से आज तक दोनों देशों के रिश्ते ठीक नहीं हैं।

अमेरिका से उरी हमले में ISI की भूमिका के सबूत मिलने पर नवाज शरीफ “निराश” हो गए थे। उन्होंने इसपर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में नागरिक और सैन्य नेताओं की एक बैठक बुलाई। पाकिस्तान के विदेश सचिव ऐजाज अहमद चौधरी ने एक प्रस्तुति दी, जिसमें कहा गया था कि देश को “राजनयिक अलगाव” का सामना करना पड़ रहा है। पठानकोट हमले की जांच के बाद जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ “कुछ स्पष्ट कार्रवाई” की मांग की जा रही है।

इस बैठक के बारे में सबसे पहले पाकिस्तान के डॉन अखबार ने अक्टूबर 2016 में खबर दी थी। इससे विवाद पैदा हुआ, जिसे “डॉनगेट” के नाम से जाना गया। बिसारिया लिखते हैं कि “क्रोधित और शर्मिंदा (पाकिस्तान) सेना ने इसे निर्णायक बिंदु के रूप में देखा। सेना को यह नागवार लगा कि एक नागरिक सबके सामने पड़ोस में आतंकवादियों को तैनात करने की उसकी सोची-समझी ‘सुरक्षा नीति’ पर सवाल उठा रहा था। इसके चलते शरीफ को अपनी पीएम की कुर्सी गंवानी पड़ी।

 

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