
यूनिक समय, नई दिल्ली। बिहार के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने आज से तीन दिन की हड़ताल शुरू कर दी है, जिससे राज्यभर में ओपीडी सेवाएं प्रभावित हो गई हैं। डॉक्टरों का कहना है कि वेतन, सुरक्षा और स्टाफ की कमी जैसी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण उन्होंने हड़ताल करने का निर्णय लिया। डॉक्टरों की इस हड़ताल का असर सबसे ज्यादा उन मरीजों पर पड़ने वाला है, जो गांवों से आते हैं और सरकारी अस्पतालों पर निर्भर होते हैं।
बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (बीएचएसए) ने बायोमेट्रिक हाजिरी, कर्मचारियों की कमी और प्रशासनिक दबाव जैसे मुद्दों के खिलाफ यह हड़ताल शुरू की है। हालांकि, इसका असर सिर्फ ओपीडी सेवाओं पर पड़ा है, जबकि आपातकालीन और ट्रॉमा सेवाएं पहले की तरह जारी रहेंगी।
बीएचएसए के प्रवक्ता डॉ. विनय कुमार ने बताया कि डॉक्टरों की सुरक्षा, वेतन, गृह जिलों में पोस्टिंग और जरूरी सुविधाओं की कमी के मुद्दों पर सरकार से कई बार अपील की गई, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। उन्होंने बताया कि शिवहर जिले में एक बैठक के दौरान जिला मजिस्ट्रेट के साथ बुरा व्यवहार होने की घटना भी घटी, जिसके बाद डॉक्टरों ने यह हड़ताल शुरू की।
हड़ताल के कारण बिहार के सभी 38 जिलों के मेडिकल कॉलेजों, सदर अस्पतालों, रेफरल अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई हैं। इस हड़ताल का असर सर्जरी और इलाज के लिए पहले से अपॉइंटमेंट लेने वाले मरीजों पर भी पड़ेगा, जिनको अपनी अपॉइंटमेंट को फिर से तय करना होगा।
बीएचएसए ने चेतावनी दी है कि अगर 29 मार्च तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है, तो हड़ताल को जारी रखा जाएगा और आगे की कार्यवाही की जा सकती है।
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