इस बीच भारत में भी XBB.1.5 वैरिएंट से संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि की गई है। इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इन्साकोग) की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में इस नए वैरिएंट का पहला मामला सामने आया है। जिस तरह से इसके कारण न्यूयॉर्क में हालात बिगड़ते देखे गए हैं, ऐसे खतरे को ध्यान में रखते हुए भारत को भी विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
अमेरिका का कई हिस्सों, विशेषकर न्यूयॉर्क में XBB.1.5 वैरिएंट से संक्रमण के कारण स्थिति बिगड़ने की खबरें हैं। वैज्ञानिकों ने शुरुआती अध्ययनों में पाया है कि यह XBB सब-वैरिएंट में हुए नए म्यूटेशन से उत्पन्न हुआ है जिसकी प्रकृति कई मामलों में चिंता बढ़ाने वाली है।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में वायरोलॉजिस्ट एंड्रयू पेकोज बताते हैं XBB.1.5 अपने फैमिली के अन्य के सदस्यों से अलग है क्योंकि इसमें एक अतिरिक्त म्यूटेशन देखा जा रहा है जो इसे कोशिकाओं से बेहतर ढंग से बाइंड करने में मददगार हो सकता है। ऐसे में यह अधिक संक्रामक होने के साथ शरीर में तेजी से बढ़कर गंभीर रोग विकसित कर सकता है।
पेकिंग विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक यूनलॉन्ग रिचर्ड काओ यह वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को चकमा देने में सफल हो सकता है, ऐसे में नए वैरिएंट को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
संक्रमण की स्थिति में गंभीर रोगों का भी खतरा
वायरोलॉजिस्ट एंड्रयू पेकोज कहते हैं, वायरस के बाइंडिंग की क्षमता इसे लोगों को अधिक आसानी से संक्रमित करने में मदद करती है। न्यूयॉर्क की रिपोर्ट्स से पता चलता है कि यहां संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने की दर भी बढ़ी है, जिससे साफ होता है कि यह सब-वैरिएंट अब तक के अन्य वैरिएंट्स की तुलना में न सिर्फ तेजी से लोगों को अपना शिकार बना सकता है साथ ही इससे गंभीर रोग विकसित होने का खतरा भी अधिक है।शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि XBB.1.5, अन्य वैरिएंट्स की तुलना में अधिक आसानी से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने में भी सफल हो रहा है।
XBB सब-वैरिएंट सबसे पहले भारत में देखा गया था, जो दो अन्य वैरिएंट (BA.2.75 और BA.2.10.1 के पुनः संयोजन) से उत्पन्न हुआ था। इसपर हुए अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने न सिर्फ इसकी गंभीरता और संक्रामिकता को लेकर अलर्ट किया था साथ ही इसमें म्यूटेशन की भी आशंका जताई थी।
कोलंबिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस महीने की शुरुआत में जर्नल सेल में प्रकाशित एक अध्ययन में चेतावनी दी थी कि XBB-सब-वैरिएंट में होने वाला उत्परिवर्तन कोविड-19 टीकों की प्रभावकारिता को और कम कर सकता है। यह संक्रमण के साथ-साथ गंभीर रोगों के खतरे को भी बढ़ाने वाला हो सकता है।
कोविड रिपोर्टस के मुताबिक गुजरात में एक मामले के अलावा देश के अन्य किसी भी हिस्से से फिलहाल इस नए सब-वैरिएंट की पुष्टि नहीं है। महाराष्ट्र में कोरोना के मामलों पर नजर रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि यहां XBB सब-वैरिएंट के 275 से अधिक मामले रहे हैं, हालांकि अब तक इस नए सबवैरिएंट की पुष्टि नहीं है। जिस तरह से अमेरिका में इससे संक्रमण के कारण हालात बिगड़े हैं इस खतरे को लेकर भारत को भी सावधान रहने की जरूरत है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, भारत में इसका असर ज्यादा नहीं होना चाहिए क्योंकि इसी परिवार के XBB वैरिएंट से यहां लोग पहले भी संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं, साथ ही यहां ज्यादातर लोग प्राथमिक और बूस्टर डोज भी ले चुके हैं। हालांकि इसकी प्रकृति को देखते हुए कोविड से बचाव को लेकर सख्ती बरतना बहुत जरूरी है।
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