प्रमोद तिवारी, भीलवाड़ा
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर उपखंड में उलेला ग्राम में एक चौंकाने वाले मामला सामने आया है। यहां अंधविश्वास के चलते पहले एक बुजुर्ग महिला को डायन बताकर पीटा गया। जब वह अपनी जान बचाने के लिए भागी तो उसे कुएं में धकेल दिया गया। प्रताड़ित महिला ने कुएं में लगे पाइप के सहारे लटक कर किसी तरह अपनी जान बचाई। और फिर उसकी आवाज सुनने पर ग्रामीणों ने उसे जिंदा बाहर निकाला। महिला को कुएं में धकेलने से उसके हाथ के हड्डी टूट गई। जिसका जहाजपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार किया जा रहा है। जहाजपुर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया है।
दरअसल, राजस्थान में डायन प्रताड़ना निषेध अधिनियम लागू होने के बावजूद महिलाओं को डायन के नाम पर प्रताड़ित करने का सिलसिला आज भी कई इलाकों में बदस्तूर जारी है। उलेला गांव में एक नहीं दो अंधविश्वासों के चलते महिला को डायन के नाम पर प्रताड़ित किया गया। पहले इसी गांव के फोरू मीणा ने कहा कि मेरी पत्नी के भाव आया है। और उसने बताया कि यह महिला डायन है। इसी भाव के अंधविश्वास के आधार पर फोरू ने गांव की 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला जो अपने खेत पर गाय लेकर गई थी, उसे डंडों से पीटा गया। जब महिला अपनी जान बचाने के लिए दौड़ी तो उसे पास के कुएं में धकेल दिया गया। कुएं में गिरने पर किसी तरह पाइप पकड़कर महिला ने अपनी जान बचाई। और मदद के लिए लोगों को पुकारा पीड़ित महिला की पुकार सुनकर ग्रामीणों ने उसे जिंदा बाहर निकाला।
डायन के नाम पर प्रताड़ित महिला को कुएं में धकेलने से उसके हाथ की हड्डी टूट गई। और शरीर पर भी कई जगह चोटें आईं हैं। उपचार के लिए जहाजपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया है। महिला की रिपोर्ट पर जहाजपुर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी फोरू मीणा को तो गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि सबसे बड़ा सवाल यह है कि निमोनिया के इलाज के नाम पर मासूम बच्चों को गर्म सलाखों से दागने और महिलाओं को डायन के नाम पर प्रताड़ित करने के अंधविश्वास पर आख़िर लगाम कब लगेगी।
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