
यूनिक समय, मथुरा। पदम भूषण, पदमश्री, वनस्पति विज्ञान और हिमालय पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन के संस्थापक डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि आज के युवाओं ने विज्ञान के नवीनतम शिखर को छू लिया है, लेकिन हमें प्रकृति के भी विज्ञान को समझने और उस पर जोर देने की जरूरत है, क्योंकि प्रकृति हमें इशारा देती है कि हमें कहां गुजर-बसर करना है और कैसे।
जीएलए विश्वविद्यालय में द इंजीनियर्स रोल इन इनवायरनमेंट प्रोटेक्शन विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. प्रकाश ने कहा कि पृथ्वी पर कुल जल का 70 प्रतिशत भाग ग्लेशियर के पिघलने से आता है। इसलिए हमें जल का सदुपयोग करते हुए उसे विभिन्न तरीकों से प्रदूषित होने से बचाना की जरूरत है। हाल ही में उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना पर प्रकाश डाला। इन दुष्परिणामों से बचने के लिए जो भी उचित हो उस पर जोर देने की जरूरत है।
वेटेरिनरी यूनिवर्सिटी, मथुरा के कुलपति प्रो. जीके सिंह ने कहा कि पर्यावरण का प्रत्येक घटक हमारी जीवन शैली पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है। यदि यह घटक हमें हानि पहुंचाये तो वहां से पर्यावरण सुरक्षा की आवश्यकता होती है। जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण को बचाने और सतत विकास को प्रभावित करने में इंजीनियरों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि व्यावहारिक समस्याओं को हल करने के लिए इंजीनियर ही रचनात्मकता, प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक ज्ञान उपयोग कर सकते हैं। जीएलए विश्वविद्यालय के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफीसर नीरज अग्रवाल ने डॉ. अनिल प्रकाश जोशी और प्रो. जीके सिंह को धन्यवाद दिया। कहा कि जो भी विश्वविद्यालय के छात्रों को पर्यावरण से संबंधित ज्ञान और प्रकृति बचाने के तौर तरीके बताये गए है। इन मुद्दों के माध्यम से काफी हद तक हम सभी मिलकर पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं।
प्रतिकुलपति प्रो. आनंद मोहन अग्रवाल ने वेटेरिनरी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. जीके सिंह को स्मृति चिन्ह् भेंटकर सम्मानित किया।
डीन रिसोर्स प्लानिंग एण्ड जनरेशन प्रो. दिवाकर भारद्वाज ने भी अतिथियों को प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। संचालन टीएनपी विभाग के टेज्नर धर्मेन्द्र शर्मा ने किया।
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