नई दिल्ली। एग्जिट पोल में मिली मोदी सरकार की वापसी को संभावनाओं का असर शेयर बाजार के साथ-साथ भारतीय रुपये पर भी देखने को मिला है. सोमवार को एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 49 पैसे मजबूत होकर 69.73 के स्तर पर बंद हुआ है। इस तेजी के साथ रुपया करीब 2 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है। आपको बता दें कि रुपये की मज़बूती से देश की अर्थव्यवस्था के साथ आम आदमी पर भी इसका असर होता है. क्योंकि भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है. ऐसे में कच्चा तेल खरीदने की लागत घट जाएगा. लिहाजा पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें में गिरावट आएगी. साथ ही, अन्य इंपोर्ट होने वाले सामान भी सस्ते हो जाएंगे.
रुपये में मज़बूती से क्या होगा-रुपये की कीमत पूरी तरह इसकी मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करती है. इस पर आयात (इंपोर्ट) एवं निर्यात (एक्सपोर्ट) का भी असर पड़ता है. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है. इसका मतलब है कि निर्यात (एक्सपोर्ट) की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है।
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यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं. यह अधिकतर जगह पर आसानी से स्वीकार्य है.
ऐसे समझें-अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में भारत के ज्यादातर बिजनेस डॉलर में होते हैं. अपनी जरूरत का कच्चा तेल (क्रूड), खाद्य पदार्थ (दाल, खाद्य तेल ) और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अधिक मात्रा में आयात करेंगे तो आपको ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. आपको सामान तो खरीदने में मदद मिलेगी, लेकिन आपका मुद्राभंडार घट जाएगा।
आप पर असर- भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है. रुपये में मज़बूती से पेट्रोलियम उत्पादों को विदेशों से खरीकर देश में लाना सस्ता हो जाता है. इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव घटा सकती हैं. डीजल के दाम कम होने से माल ढुलाई घट जाएगी, जिसके चलते महंगाई में कमी आएगी.रुपया पैसा, रुपया और डॉलर, रुपया वस डॉलर, रुपये की मजबूती, भारतीय रुपया की कीमत, भारतीय रुपया और अन्य मुद्राओं, भारतीय रुपया देश, अपना रुपया, डॉलर और रुपये में अंतर, डॉलर रुपया एक्सचेंज रेट
इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपये की मज़बूती से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें घट सकती हैं. विदेश में जाकर घूमना सस्ता होगा. वहीं, विदेश में पढ़ाई भी सस्ती हो जाएगी, क्योंकि डॉलर खरीदने के लिए कम रुपये खर्च करने होंगे. यह है सीधा असर-एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की तेजी से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है। इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है. पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है। इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है. लिहाजा अब रुपये के मज़बूत होने पर इसका उलटा हो जाएगा. ऐसे में सरकार के साथ-साथ कंपनियों को भी फायदा होगा।
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