राज्य की बिजली कंपनियों द्वारा नियामक आयोग में दाखिल प्रस्ताव में बिजली दरों में बढ़ोतरी का जिक्र है। कंपनियों ने श्रेणीवार उपभोक्ताओं के लिए लागू वर्तमान स्लैब जो 80 है, उसे 53 किया है। स्लैब में बदलाव के प्रस्ताव के साथ कोई दर नहीं दिया गया है।
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उ.प्र. विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों के प्रस्ताव का विरोध किया है। आयोग को प्रस्ताव देकर मांग की है कि बिजली दरों में 16 फीसदी कमी करके ही कंपनियों के प्रस्ताव पर विचार किया जाए।
बिजली कंपनियों की तरफ से पावर कारपोरेशन ने यह प्रस्ताव नियामक आयोग को दिया है। जिसकी सूचना मिलने पर उपभोक्ता परिषद ने आयोग में अपना जनहित प्रस्ताव दाखिल किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस मुद्दे पर नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से बात की। कहा कि बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के साथ धोखा कर रही हैं। बिजली दर पर सुनवाई के बीच स्लैब बदलने की मांग के लिए जो प्रस्ताव दिया है, वह उचित नहीं है। स्लैब कम किए जाने से अधिक भार छोटे उपभोक्ताओं पर आ जाएगा। लिहाजा स्लैब बदलने के प्रस्ताव पर तभी विचार किया जाए जब बिजली दरों में 16 फीसदी की कमी हो।
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परिषद ने अपने प्रस्ताव में लिखा है कि वर्ष 2019 -20 के टैरिफ आर्डर में बिजली उपभोक्ताओं का उदय व ट्रूअप में वर्ष 2017-18 तक करीब 13337 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों पर निकल रहा है। इस धनराशि को उपभोक्ताओं को दिया जाना है। यह धनराशि अब कैरिंग कॉस्ट 13 प्रतिशत जोड़ कर करीब 14782 करोड़ रुपये हो गया है। जिसे उपभोक्ताओं को दिया जाए तो करीब 25 प्रतिशत बिजली दरों में कमी आ जाएगी। वहीं बिजली कंपनियों के 4500 करोड़ रुपये के गैप को घटा दिया जाए इसके बाद भी बिजली दरों में 16 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए।
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