आंखोंदेखी ट्रेन हादसे की दर्दनाक कहानी रोती-बिलखती महिलाएं…फूटे सिर बहता खून, ड्राइवर नहीं तो कौन जिम्मेदार?

बंगाल के दार्जिलिंग में हुए ट्रेन हादसे की आंखोंदेखी कहानी उस शख्स ने सुनाई, जो सबसे पहले हादसास्थल पर पहुंचा था। चश्मदीद के अनुसार, मौके पर मंजर इतना खौफनाक था कि देखकर एक बार रूह कांप जाए। ट्रेन के डिब्बे कहीं पड़े थे, पैसेंजर कहीं पड़े थे। चीख-पुकार मची हुई थी, महिलाएं मदद के लिए चिल्ला रही थीं। किसी का हाथ कट गया था, किसी का सिर फूटा हुआ था। खून बह रहा था, पैसेंजर भारी-भारी डिब्बों के नीचे दबे थे। मंजर इतना दर्दनाक था कि दिल दहल गया।

एक बार तो समझ ही नहीं आया कि क्या करें? किसी ने पुलिस को फोन किया, किसी ने एंबुलेंस को बुलाया। रेलवे अधिकारियों को भी हादसे की सूचना दी। नमाज पढ़कर लौट रहे लोग भी मदद करने के लिए आ गए। करीब 30-40 लड़के थे, जिन्होंने घायलों को संभाला। पानी और फर्स्ट एड का इतंजाम किया। डिब्बों को ऊपर उठाकर घायलों को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया। महिलाओं ने घायल महिलाओं की मदद की, लेकिन मालगाड़ी ने जितने जोरदार तरीके से पैसेंजर ट्रेन को टक्कर मारी, मंजर इससे भी ज्यादा खौफनाक हो सकता था।

यह आंखोंदेखी 21 साल के मोहम्मद हसन ने सुनाई, जो हादसास्थल पर सबसे पहले पहुंचा था। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सोमवार सुबह करीब 9 बजे हुए हादसे के लिए मालगाड़ी का ड्राइवर जिम्मेदार नहीं है। रेलवे सूत्रों के मुताबिक, यह जानकारी सामने आई है। रेलवे के रिकॉर्ड के अनुसार, जिस रास्ते पर हादसा हुआ, उस रास्ते पर रानीपात्रा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट जंक्शन के बीच के सभी रेड सिग्नल खराब थे। इसलिए रानीपात्रा रेलवे स्टेशन के मास्टर ने उसे TA 912 फॉर्म जारी करके खराब सिग्लन तोड़ने की परमिशन दे दी थी,

इसलिए मालगाड़ी के ड्राइवर ने पिछले स्टेशन पर रेड सिग्नल तोड़ा, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या मालगाड़ी के ड्राइवर को आगे खड़ी ट्रेन नजर नहीं आई? सिग्नल तोड़ा गलती की, लेकिन आगे खड़ी ट्रेन नजर नहीं आना, किसकी गलती है? बता दें कि पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से 30 किलोमीटर दूर रंगपानी स्टेशन के पास सोमवार सुबह ट्रेन हादसा हुआ। सियालदह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) को पीछे से मालगाड़ी ने टक्कर दी। इससे ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर गए। हादसे में 9 लोगों की मौत हुई।

40 से ज्यादा पैसेंजर घायल हुए। रेलवे बोर्ड की चेयरमैन और CEO जया वर्मा, ईस्टर्न रेलवे के CPRO कौशिक मित्रा, रेलवे मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हादसास्थल पर जांच करने पहुंचे। मरने वालों में 2 लोको पायलट और एक गार्ड भी शामिल है। केंद्रीय रेल मंत्री ने हादसे की जांच के आदेश दिए। मृतकों के लिए 10 लाख, गंभीर घायलों के लिए 2.50 लाख और घायलों के लिए 50 हजार रुपये मुआवजे का ऐलान किया। प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों को 2-2 लाख रुपये देने की घोषणा भी हुई।

 

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