नई दिल्ली। 26 जनवरी को किसानों की होने वाली ट्रैक्टर रैली को लेकर दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी पर भी सवाल उठाए गए। ऐसे में प्रधान न्यायाधीश (उखक) एसए बोबडे ने सख्त लहजे में कहा कि अगर किसान कमिटी के सामने नहीं जाना चाहते, तो बेशक मत जाएं। मगर ऐसे किसी भी छवि न खराब करें। इस तरह की ब्रांडिंग नहीं होनी चाहिए। सीजेआई ने एक बार फिर साफ किया कि कमिटी को कोई फैसला लेने की शक्ति नहीं दी गई है। इसे सिर्फ हमें राय देने के लिए बनाया गया है।
दरअसल, एक किसान यूनियन ने कोर्ट में बहस कर कमिटी के सदस्यों के बारे में पक्ष रहना चाहा, तो उखक ने कहा कि दवे के मुवक्किल ने कमिटी के बनने से पहले ही कमिटी के सामने न जाने का फैसला किया था। आप कौन हैं? रॅ ने दवे से पूछने को कहा -दवे किस यूनियन की तरफ से पेश हो रहे हैं। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा दवे कि वो 8 किसान यूनियनों की तरफ से पेश हो रहे हैं। दवे ने कहा कि किसान महापंचायत प्रदर्शनकारी यूनियनों में से नहीं है।प्रशांत भूषण ने कहा कि यूनियनों का कहना है कि हम कमिटी के समक्ष पेश नहीं होंगे।
उखक ने कहा कि कमिटी को हमने फैसला करने का अधिकार नहीं दिया है। उसे सिर्फ किसानों की समस्याएं सुनने और हमें रिपोर्ट देने के लिए बनाया गया है। आप बिना सोचे समझे बयान देते हैं। किसी ने कुछ कहा तो वह अयोग्य हो गया ? मान ने कानूनों को संशोधित करने के लिए कहा था। आप कह रहे हैं कि वे कानूनों के समर्थन में हैं।
सीजेआई ने सख्त लहजे में कहा- ‘आप इस तरह के लोगों को ब्रांड नहीं कर सकते। लोगों की राय होनी चाहिए। यहां तक कि सबसे अच्छे न्यायाधीशों की भी कुछ राय होती है, जबकि वो दूसरी तरफ निर्णय भी देते हैं।’
इसके बाद किसान महापंचायत की तरफ से बहस शुरू हुई। भूपिंदर मान के कमिटी से हटने के बारे में बताया और कमिटी पर सवाल उठाया। उखक ने कहा कि अगर व्यक्ति किसी मामले में अपनी एक राय रखता है तो इसका मतलब क्या? कभी कभी जज भी राय रखते हैं, लेकिन सुनवाई के दौरान वो अपनी राय बदलकर फैसला देते हैं। कमिटी के पास कोई अधिकार नहीं है तो आप कमिटी पर पूर्वाग्रह का आरोप नहीं लगा सकते। उखक ने कहा कि अगर आप कमिटी के समक्ष पेश नहीं होना चाहते तो हम आपको बाध्य नहीं करेंगे।
मेंबर पर आरोप बर्दाश्त नहीं करेंगे
सीजेआई ने कहा, ‘पब्लिक ओपिनियन को लेकर अगर आप किसी की छवि को खराब करेंगे तो कोर्ट सहन नहीं करेगा। कमेटी के सदस्यों को लेकर इस तरफ चर्चा की जा रही है। हम केवल मामले की संवैधानिकता तय करेंगे।’ सीजेआई ने कहा कि आप बहुमत की राय के अनुसार लोगों को बदनाम करते हैं। अखबारों में जिस तरह की राय दिखाई दे रही है, हमें खेद है
सीजेआई ने कहा कि कोर्ट ने किसी की नियुक्ति की है और उसको लेकर भी इस तरह की चर्चा है। फिर भी हम आपकी अर्जी पर नोटिस जारी करते है। अॅ को कहा कि आओ जवाब दाखिल करें। सुप्रीम कोर्ट समिति के सदस्यों को बदलने की अर्जी पर अदालत ने नोटिस जारी किया है।
इसपर सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि आप अपने आदेश में ये साफ कीजिये कि ये कमिटी कोर्ट ने अपने लिए बनाई है। अगर कमिटी के समक्ष कोई पेश भी नही होता तो भी कमिटी अपनी रिपोर्ट कोर्ट में देगी। इसपर उखक ने सख्त लहजे में कहा- ‘हम कितनी बार यह साफ करें? कमिटी को कोई फैसला लेने की शक्ति भी नहीं दी गई है।’
सीजेआई ने कहा कि हम इस पर कुछ नहीं कहेंगे। प्रजातंत्र में एक तरफ से निरस्त करने के अलावा एक अदालत द्वारा रद्द किया जाता है और न्यायालय द्वारा इसे होल्ड कर लिया गया है, इसलिए अभी कुछ भी लागू नहीं है। भूषण ने कहा कि मान लीजिए की कोर्ट मामले की सुनवाई करते हुए बाद में कहता है कि कानून सही है और अपना आदेश वापस लेता है तो फिर क्या होगा?
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