फास्टैग सिस्टम होगा खत्म: अब जीपीएस सिस्टम के जरिये टोल कलेक्शन करेगी सरकार!

नई दिल्ली। दिसंबर 2019 से देशभर के वाहनों में लागू किया गया फास्टैग सिस्टम (Fastag) भी अब बंद होने वाला है। कुछ समय बाद देशभर में वाहनों से टोल टैक्स की वसूली जीपीएस सिस्टम के जरिये होगी। इसका पायलट प्रोजेक्ट चल भी रहा है। बताया जाता है कि कुछ यूरोपीय देशों के इस फॉर्मूले पर केंद्र सरकार काम कर रही है। जीपीएस के जरिये टोल वसूली को सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम कहा जाता है।

2020 में सरकार ने दिल्ली-मुंबई कॉमर्शियल कॉरिडोर में इसका प्रयोग ट्रकों में शुरू किया था। इसके लिए इसरो (ISRO) के नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम की मदद ली गई। सूत्रों के मुताबिक यह प्रोेजेक्ट सफल रहा तो देशभर के सारे टोल प्लाजा खत्म कर दिए जाएंगे और इसी सिस्टम के जरिये वसूली की जाएगी। यह सस्ती भी पड़ेगी और मैनपावर भी नहीं लगेगी।

केंद्र सरकार ने इस पायलट प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए देशभर में 1.37 लाख गाड़ियों को चिह्नित किया है। इसमें सबसे ज्यादा करीब 36 हजार वाहन महाराष्ट्र के हैं, जबकि मध्यप्रदेश, मणिपुर, सिक्कम और लद्दाख के सबसे कम सिर्फ एक-एक वाहन इस प्रोजेक्ट में शामिल किए गए हैं। इस पायलट प्रोजेक्ट में दिल्ली की 29,705, उत्तराखंड की 14,401, छत्तीसगढ़ की 13,592, हिमाचल की 10,824 और गोवा की 9,112 गाड़ियां शामिल की गई हैं।

जर्मनी और रूस में सफल रहा सिस्टम
केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक जर्मनी और रूस में इसी सैटेलाइट सिस्टम से टोल वसूली हो रही है और वहां यह सिस्टम काफी सफल रहा है। जर्मनी में 98 फीसदी से अधिक टोल कलेक्शन इसी सिस्टम से हो रहा है। इस सिस्टम के जरिये गाड़ी हाईवे पर जितने किमी चलती है, उसके हिसाब से टोल की राशि लगती है। अभी भारत में 60 किमी के अंदर एक से अधिक टोल प्लाजा बने हैं, ऐेस में यहां किमी के हिसाब से टोल वसूली का सिस्टम नहीं है।

पिछले दिनों केंद्रीय परिवहन एवं सड़क राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में बताया था कि देश में 60 किमी के दायरे में एक ही टोल बैरियर होगा। यदि इस बीच दो टोल प्लाजा हैं तो अगले तीन महीने के अंदर इन्हें हटा दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि 2024 तक देश की सड़कों का इन्फ्रास्ट्रक्चर अमेरिका जैसा करना है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*