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पटाखे 40 फीसदी महंगे, इस दिवाली कम होगी आतिशबाजी की चमक बेरियम पर प्रतिबंध से तमिलनाडु के शिवकाशी में उत्पादन हुआ आधा, ज्यादा जेब ढीली करने के बाद भी मनमाफिक आयटम नहीं मिल पाएगा
इस बार करवाचौथ से दीवाली तक महंगाई की मार पड़ रही है। त्योहारों के सीजन में उपयोग होने वाली हर वस्तु पर महंगाई होने से लोगों के उल्लास और धूम-धड़ाके में खलल पड़ रहा है। सौदर्य प्रसाधन से पटाखों तक महंगाई होने से त्योहारों का रंग फीका कर दिया है।
पटाखे और आतिशबाजी के शौकीनों को इस बार दीपावली पर ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। इसके बाद भी उन्हें मनमाफिक आयटम भी नहीं मिलेगा। इसका कारण यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों में बेरियम के उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है। इससे भारत की आतिशबाजी राजधानी कही जाने वाली शिवकाशी तमिलनाडु में पटाखों और अन्य चीजों का उत्पादन आधा रह गया है। बेरियम का वैकल्पिक पदार्थ महंगा होने और उत्पादन कम होने के चलते इस बार पटाखे 40 फीसदी तक महंगे हो गए हैं। इसके साथ पटाखों और आतिशबाजी की आवक भी कम हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में पटाखों के निर्माण में बेरियम के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। अधिकांश आतिशबाजी में बेरियम का उपयोग होने के कारण इस आदेश के बाद से शिवकाशी में आतिशबाजी उद्योग का उत्पादन 50 प्रतिशत तक कम हो गया है। अब जबकि दीपावली में एक महीना ही बचा है। इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। 80 फीसदी आतिशबाजी शिवकाशी में ही बनती है।
पटाखों से स्वास्थ्य को नुकसान
बेरियम का उपयोग आतिशबाजी में हरी लाइट पैदा करने के लिए किया जाता है। बेरियम के क्लोराइडए नाइट्रेट और हाइड्रॉक्साइड पर्यावरण को दूषित करते हैं। इसके साथ बेरियम कार्बोंनेट पानी में नहीं घुलता है लेकिन यह मानवीय आंत में घुल जाता है। इससे यह कई प्रकार की बीमारियां पैदा करता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने बेरियम को प्रतिबंधित किया है।
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