सावन का पहला सोमवार, इस विधि से करें भोलेनाथ को प्रसन्न, जानिए

सावन का पहला सोमवार
सावन का पहला सोमवार

सावन: हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत महत्व है. श्रावण मास को मनोकामनाएं पूरा करने का महीना भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार भोलेनाथ को ये महीना बहुत प्रिय है और जो भी भक्त सावन के महीने में पूरे विधि-विधान से शंकर भगवान की पूजा करते हैं, उन पर भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है. सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार का बहुत महत्व माना जाता है.

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कब है सावन का पहला सोमवार?

सावन का पहला सोमवार 6 जुलाई को है और श्रावण मास की शुरूआत भी इसी दिन से हो रही है. इस बार श्रावण मास में कुल पांच सोमवार पड़ेंगे. सावन के महीने में अद्भुत संयोग बन रहा है क्योंकि सावन की शुरूआत का पहला दिन ही सोमवार है, वहीं सावन के अंतिम दिन यानी 3 अगस्त को भी सोमवार का ही दिन है.

श्रावण मास के सोमवार का महत्व

सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार का बहुत महत्व माना जाता है. शिव पुराण के अनुसार जो भी इस माह में सोमवार का व्रत करता है, भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की कृपा से विवाह सम्बंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव और विष्णु का आशीर्वाद लेकर आता है. माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण मास में कठोरतप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था.

सावन के सोमवार में शिव पूजन का महत्व

सोमवार का दिन शिवजी की पूजा के लिए खास माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार सावन के सोमवार पर शिवलिंग की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है. बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना बहुत फलदायी माना जाता है.

कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं. शिव पुराण के अनुसार जो भी भक्त सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखते हैं, भोलेनाथ उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

श्रावण मास में दूर करें दांपत्य जीवन की समस्याएं

-दांपत्य जीवन की खटास दूर करने के लिए पति-पत्नी को मिलकर पूरे श्रावण मास दूध, दही, घी, शहद और शक्कर अर्थात पंचामृत से भगवान शिव शंकर का अभिषेक करना चाहिए.

– ॐ पार्वती पतये नमः मंत्र का रुद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें और भगवान शिव के मंदिर में शाम के समय गाय के घी का दीपक संयुक्त रूप से जलाएं.

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