
यूनिक समय, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित वार्ता को लेकर एक स्पष्ट और सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत केवल दो मुद्दों—आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK)—तक सीमित रहेगी। इसके अलावा, किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को भारत पूरी तरह खारिज करता है।
दिल्ली में होंडुरास दूतावास के उद्घाटन समारोह में मीडिया से बातचीत करते हुए जयशंकर ने दोहराया कि भारत-पाक संबंध हमेशा से द्विपक्षीय रहे हैं और इस नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा, “हमारे संबंध और संवाद केवल भारत और पाकिस्तान के बीच होंगे, इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है—पाकिस्तान के साथ चर्चा केवल आतंकवाद पर होगी। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान को अपने यहां मौजूद आतंकवादी ढांचे को खत्म करना होगा, और वे अच्छी तरह जानते हैं कि उन्हें क्या करना है।
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि हाल के तनावपूर्ण हालातों में भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का व्यापक समर्थन मिला है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जिसमें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को जवाबदेह ठहराने की बात कही गई थी। जयशंकर ने कहा कि ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के जरिए 7 मई को भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि अपराधी बख्शे नहीं जाएंगे।
जयशंकर के इस बयान से यह साफ हो गया है कि भारत की नीति पाकिस्तान को लेकर सख्त और स्पष्ट है—बातचीत तभी होगी जब आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई होगी, और उसमें कोई तीसरा देश शामिल नहीं होगा।
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