प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर गए हुए हैं। आज वह अबूधाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे। उनकी यात्रा को लेकर विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने बताया की पीएम मंगलवार दोपहर अबूधाबी पहुंच चुके हैं।
विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री इस देश की अपनी सातवीं यात्रा पर कल दोपहर अबू धाबी पहुंचे। संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने उनकी अगवानी की और हवाई अड्डे पर उनका औपचारिक स्वागत भी किया। इसके बाद नेताओं ने विस्तृत प्रतिनिधिमंडल स्तर और वन-टू-वन वार्ता की, जिसमें भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण विकास के सभी पहलुओं को कवर किया गया।’
विदेश सचिव ने आगे बताया, ‘इस दौरान जीवन कार्ड का उपयोग करके किए गए लेन-देन को भी पीएम मोदी ने देखा। प्रधानमंत्री ने घरेलू जीवन कार्ड के शुरू करने को लेकर राष्ट्रपति को बधाई दी। बता दें, ये कार्ड भारत और यूएई के बीच वित्तीय क्षेत्र सहयोग में एक और महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही 10 एमओयू समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
उन्होंने कहा कि अहलान मोदी कार्यक्रम कल शाम जायद स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित किया गया। इस दौरान पीएम ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में 40,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया और अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों के प्रति प्रतिबद्धता, भारतीय समुदाय को उनके समर्थन और बीएपीएस मंदिर के निर्माण के लिए भूमि देने के लिए यूएई के राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने आगे कहा कि भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (IMEC) नई दिल्ली में जी 20 शिखर बैठक के दौरान शुरू किया गया था। यह समझौता दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का काम करेगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि एक विशेष क्षेत्र में किस तरह सहयोग को बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि खासकर इन क्षेत्र में सहयोग शामिल हैं- पहला लॉजिस्टिक्स प्लेटफार्मों पर सहयोग से संबंधित, जो इस विशेष गलियारे के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण तत्व है। दूसरा आपूत श्रृंखला सेवाओं का प्रावधान। आपूर्ति श्रृंखला सेवाएं केवल एक या दो चीजों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सभी प्रकार के सामान्य कार्गो, थोक कंटेनर और तरल थोक को कवर करती हैं। इसका एक उद्देश्य यह देखना है कि आईएमईसी, जिसे शुरू किया गया था, कितनी जल्दी संचालित होता है और इसमें शामिल पक्षों के बीच मजबूत, गहरी, अधिक व्यापक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के मुख्य उद्देश्य को लाभ पहुंचाता है।
इस्राइल-फलस्तीन युद्ध और लाल सागर की स्थिती पर एक सवाल के जवाब पर विदेश सचिव ने कहा, ‘जैसा कि मैं पहले भी क्षेत्र के विकास के बारे में कह चुका हूं कि दोनों नेताओं के बीच न केवल कल बल्कि पहले की बैठकों में भी चर्चा का एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व रहा है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो भारत सहित पूरे विश्व में व्यापक ऊर्जा सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। जब भी कोई गड़बड़ी होती है तो इसमें महत्वपूर्ण दांव शामिल होते हैं। इसलिए, हां, चर्चाओं में इस्राइल-फलस्तीन शामिल थे और लाल सागर की स्थिति दोनों नेताओं के बीच चर्चा पर केंद्रित थी।
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बुधवार को अबूधाबी में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश में मौजूद भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के हमेशा प्रयास किए हैं और अन्य देशों के नेताओं से बात की है। क्वात्रा ने कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों की रिहाई से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जब भी भारतीय समुदाय को समस्याओं का सामना करना पड़ा है, तो प्रधानमंत्री, उनके नेतृत्व और उनकी व्यक्तिगत कोशिशों ने यह सुनिश्चित किया है कि उन्हें भारत वापस लाया जाए।
कतर ने सोमवार को भारतीय नौसेना के उन पूर्व कर्मियों को रिहा कर दिया, जिन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी और जिनकी सजा को अलग-अलग अवधि की जेल की सजा में बदल दिया गया था। क्वात्रा ने प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा की जानकारी देते हुए कहा, ‘यह भारतीय समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए प्रधानमंत्री द्वारा अपनाए जाने वाले संवेदनशील नजरिए का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
विदेश सचिव ने कहा कि पिछले 10 साल में जब भी भारतीय नागरिकों के सामने कोई समस्या आई है, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए न केवल विदेश मंत्रालय, बल्कि पूरी सरकार को शामिल करने का दृष्टिकोण अपनाया गया है। भारतीय नागरिक, चाहे वे कहीं भी हों, उन्हें हर संभव और उचित मदद दी जानी चाहिए। ये प्रधानमंत्री के निर्देश हैं। विदेश सचिव ने कहा कि उन्होंने (प्रधानमंत्री ने) अन्य देशों के नेताओं से बात करने की पहल की है और उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय नागरिक जहां भी हों, वे सुरक्षित रहें और जरूरत पड़ने पर उन्हें भारत वापस लाया जाए।
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