पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में सोमवार को निधन हो गया. प्रणब मुखर्जी को उनकी विद्वत्ता और शालीन व्यक्तित्व के लिए याद किया जाएगा, लेकिन कठोर फैसले लेने से भी उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया. राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल की अहम बात ये थी कि उन्होंने दया याचिकाओं को लेकर भरपूर सख्ती अपनाई. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थीं.
शोक की लहर: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन, अंतिम विदाई
प्रणब मुखर्जी से ज्यादा दया याचिकाएं सिर्फ आर वेंकटरमण ने ही खारिज की थीं. आर वेंकटरमण 1987 से लेकर 1992 तक राष्ट्रपति रहे. इस दौरान उन्होंने कुल 44 दया याचिकाएं खारिज कर थीं. उनके बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का ही नंबर आता है जिन्होंने 37 प्रार्थियों से जुड़ी 28 दया याचिकाओं को खारिज कर दिया. प्रणब से पहले राष्ट्रपति रहीं प्रतिभा पाटिल ने सबसे ज्यादा 30 लोगों को फांसी के फंदे से बचाया था. प्रणब ने सिर्फ 7 फांसी की सजा माफ कीं.
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प्रणब मुखर्जी की मुहर से ही तीन आतंकियों को फांसी की सजा मिली. इनमें संसद पर हमले का आरोपी अफजल गुरु, मुंबई हमले का आरोपी अजमल कसाब और मुंबई धमाकों का आरोपी याकूब मेनन शामिल है.
अजमल कसाब
अजमल कसाब मुंबई हमले के दौरान जिंदा पकड़ा गया एक मात्र पाकिस्तानी आतंकवादी थी. अजमल कसाब के खिलाफ भारत की अदालतों में लंबी कानूनी प्रक्रिया चली. मुंबई की अदालत ने कसाब को 6 मई 2010 को मौत की सजा सुनाई. बॉम्ब हाई कोर्ट में कसाब ने मौत की सजा को चुनौती दी. 21 फरवरी 2011 हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. 30 जुलाई 2011 को कसाब ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 29 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने कसाब को भारत के खिलाफ युद्ध छोड़ने का दोषी पाया और उसे मौत की सजा सुनाई.
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इस सजा के खिलाफ आतंकवादी कसाब ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास दया याचिका के जरिए अपील की. 5 नवंबर 2012 को कसाब की दया याचिका को प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दिया. 21 नवंबर 2012 को मुंबई हमलों के दोषी कसाब को फांसी दे दी गई.
अफजल गुरु
कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरु संसद पर हमले का दोषी था. 18 दिसंबर 2002 को दिल्ली की अदालत ने अफजल गुरु को मौत की सजा सुनाई. 4 अगस्त 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने भी अफजल गुरु की मौत की सजा बरकरार रखी. अक्टूबर 2006 को अफजल गुरु की पत्नी तब्बसुम गुरु ने तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के पास सजा माफी के लिए दया याचिका दाखिल की. एपीजे अब्दुल कलाम 2002 से 2007 के बीच भारत के राष्ट्रपति थे. प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 के बीच देश के राष्ट्रपति रहे. 3 फरवरी 2013 को प्रणब मुखर्जी ने अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दी. 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई.
याकूब मेमन
याकूब मेमन 1993 के बंबई बम धमाकों का आरोप था. 12 मार्च 1993 को बंबई में धमाके हुए थे, याकूब मेमन अगस्त 1994 में गिरफ्तार हुआ था. 2007 में टाडा कोर्ट ने याकूब मेमन को दोषी पाया. मार्च 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने याकूब मेमन की मौत की सजा कायम रखी.
29 जुलाई को 2015 को याकूब मेमन ने 14 पन्नों की दया याचिका पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजी. उसी दिन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रबण मुखर्जी ने याकूब मेमन की दया याचिका खारिज कर दी. 30 जुलाई 2015 की सुबह 6.35 पर महाराष्ट्र के नागपुर सेंट्रल जेल में याकूब मेमन को फांसी दे दी गई.
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