राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा फ्लोर टेस्ट के निर्देश के बाद जोड़तोड़ में जुटी मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार का बच पाना नामुमिकन हो गया है। दरअसल, कांग्रेस के जिन 16 विधायकों से कमलनाथ सरकार ने उम्मीद बांध रखी थी, उन्होंने रविवार सुबह वीडियो बयान जारी करते हुए दो टूक कह दिया है कि उन्होंने ‘इस्तीफ़े स्वेच्छा से दिए हैं।’
मध्य प्रदेश में सरकार गिराने और बचाने का ड्रामा पिछले दस-ग्यारह दिनों से चल रहा है। तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच सिंधिया समर्थक 20 विधायकों के अलावा दो अन्य कांग्रेसी विधायकों ने भी अपने इस्तीफ़े विधानसभा स्पीकर को भेज रखे हैं।
राज्यपाल लालजी टंडन ने शनिवार और रविवार की दरमियानी रात मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र भेजकर विधानसभा के बजट सत्र के पहले ही दिन फ्लोर टेस्ट करने को कहा है। राज्यपाल के विधानसभा में होने वाले अभिभाषण के ठीक बाद यानी कल ही विश्वासमत हासिल करने को कहा है।
कांग्रेस और उसके बाग़ी विधायक भोपाल आ रहे हैं। कमलनाथ सरकार दावा कर रही थी कि उसके पास बहुमत का आँकड़ा है और सदन में वह इस बात को साबित कर देगी।
तमाम राजनीतिक दाँव-पेच के बीच सिंधिया समर्थक सभी विधायकों ने रविवार सुबह वीडियो बयान जारी करते हुए साफ़ कर दिया है कि वे किसी के दबाव में नहीं हैं। सभी ने इस्तीफ़े अपनी स्वेच्छा से दिए हैं। वीडियो बयान भेजने वाले बाग़ी विधायक फ़िलहाल बेंगलुरू में हैं। विधायकों ने अपने बयान में यह भी कहा है, ‘इस्तीफ़ा देने के बाद जब ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला हो सकता है तो वे क़तई सुरक्षित नहीं हैं।’ सभी ने केन्द्रीय सुरक्षा देने की माँग भी बयान में की है। इस्तीफ़ा देने वाले विधायकों ने यह भी कहा है, ‘परिवार के लोग यदि उनकी गुमशुदगी रिपोर्ट पुलिस में करते हैं तो उसे नहीं माना जाए।’
विधायकों के आने की उम्मीद कम
बाग़ी विधायकों के तेवर और वीडियो बयान के बाद ऐसा लग रहा है कि वे संभवत: फ्लोर टेस्ट में शामिल ही नहीं होंगे। यदि विधायक नहीं आते हैं तो कुल 206 सीटों को लेकर बहुमत के लिए ज़ोर आजमाइश होगी। इस नंबर (206) पर बहुमत के लिए कुल 104 नंबरों की आवश्यकता पड़ेगी। कांग्रेस के पास अपना स्वयं का संख्या बल 92 बचा है। यदि चार निर्दलीय, बसपा के दो और सपा का एक विधायक कमलनाथ सरकार का सदन में साथ देते हैं तो भी कुल 99 नंबर ही हो सकेंगे। बहुमत साबित करने के लिए पाँच और विधायकों की ज़रूरत कमलनाथ सरकार को पड़ेगी। उधर बीजेपी के पास 107 का नंबर है। ऐसे में बहुमत का परीक्षण होने पर कमलनाथ सरकार का सदन में हारना सुनिश्चित लग रहा है।
फ़ैसले के लिए स्पीकर स्वतंत्र
जानकार कह रहे हैं कि भले ही राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के निर्देश सरकार को दिये हैं, लेकिन स्पीकर सदन में फ़ैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। वे विवेकानुसार निर्णय लेंगे। ऐसे में एक संभावना यह भी बन रही है कि अभिभाषण के बाद स्पीकर विश्वासमत कराएँ ही नहीं। पूरे मामले में अदालत का रास्ता भी बचा हुआ है। उधर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है, ‘सरकार विधि अनुसार कार्य करेगी।’
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