दिल्ली के गाजीपुर स्थित लैंडफिल की ऊंचाई हर दिन तेजी से बढ़ रही है। अब एक अनुमान के मुताबिक, अगले साल यानी 2020 तक गाजीपुर का यह लैंडफिल ताजमहल से भी ज्यादा ऊंचा हो जाएगा। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बताया गया है और यह बदबूदार लैंडफिल अब उसका एक और प्रतीक होगा।
नई दिल्ली के पूर्वी इलाके में स्थित गाजीपुर लैंडफिल के चारों तरफ बाज, चील और दूसरे पक्षी मंडराते देखे जा सकते हैं। इसके अलावा गाय, कुत्ते और चूहे भी इस कूड़ाघर पर बड़ी संख्या में विचरते रहते हैं। गाजीपुर का यह कूड़ाघर फुटबॉल के 40 मैदानों से भी बड़ा है और हर साल करीब 10 मीटर तक ऊपर उठ जाता है। आसापास के इलाकों में दूर-दूर तक इसकी दुर्गन्ध झेलने के लिए लोग मजबूर हैं।
गाजीपुर लैंडफिल को 1984 में खोला गया था और 2002 में इसकी क्षमता पूरी हो गई थी। इसे तभी बंद हो जाना चाहिए था, लेकिन शहर की गंदगी के चलते यहां हर रोज सैकड़ों ट्रक अभी भी पहुंचते रहते हैं।
नाम न बताने की शर्त पर दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा, ‘गाजीपुर में हर रोज करीब 2,000 टन कूड़ा डंप किया जाता है।’ बता दें कि पिछले साल 2018 में गाजीपुर लैंडफिल पहाड़ का एक हिस्सा भारी बरसात में ढह गया था और इसकी चपेट में आकर दो लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। इस दुर्घटना के बाद डंपिंग को रोक दिया गया था, लेकिन अथॉरिटीज द्वारा कोई दूसरा विकल्प न तलाश पाने पर कुछ दिनों बाद कूड़े की डंपिंग फिर से शुरू हो गई।
गाजीपुर लैंडफिल में आए दिन आग लगती रहती है और इससे जहरीली मीथेन गैस निकलती है। सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वायरनमेंट, नई दिल्ली में सीनियर रिसर्चर शांभवी शुक्ला का कहना है कि कूड़े से निकलने वाली मीथेन वातावरण में घुलने पर और जहरीली बन सकती है।
एक इन्वायरनमेंट एडवोकेसी ग्रुप, चिंतन की प्रमुख, चित्रा मुखर्जी कहती हैं, ‘यहां डंपिंग रोकने की सख्त जरूरत है क्योंकि पहले ही हवा और ग्राउंड वाटर पहले ही काफी प्रदूषित हो चुका है।’ वहीं आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि कई बार लैंडफिल के चलते सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
45 वर्षीय स्थानीय नागरिक पुनीत शर्मा बताते हैं कि इस जहरीली बदबू ने हमारी जिंदगी को नर्क बना दिया है। कई बार लोग इसके चलते बीमार तक पड़ जाते हैं। किसी तरह का विरोध-प्रदर्शन काम नहीं आता है और अब कई लोग इस जगह को छोड़ रहे हैं।
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