चांद के दक्षिणी ध्रुव में जिस जगह पर लैंडर विक्रम पड़ा है वहां अगले 14 दिन तक सूरज की रोशनी नहीं पहुंचेगी. ऐसे में चांद का तापमान घटकर माइनस 183 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा. इस तापमान में लैंडर विक्रम को अपने आप को संभालना बेहद मुश्किल होगा. इतने कम तापमान में लैंडर विक्रम के कई इलेक्ट्रॉनिक हिस्से खराब हो जाएंगे. ऐसे में अगर विक्रम लैंडर में रेडियोआइसोटोप हीटर यूनिट लगा होता तो ही वह खुद को बचा सकता था. चांद की सतह पर जिस तरह के हालात बनते जा रहे हैं उससे दोबारा लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की सारी उम्मीदें खत्म होती दिख रही हैं.
चांद के दक्षिणी ध्रुव में जिस जगह पर लैंडर विक्रम पड़ा है वहां अगले 14 दिन तक सूरज की रोशनी नहीं पहुंचेगी.
सात सितंबर को विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था
गौरतलब है कि 7 सितंबर को आधी रात को 1:50 बजे के करीब विक्रम लैंडर का चांद के साउथ पोल पर पहुंचने से पहले संपर्क टूट गया था. जब ये घटना हुई तब चांद पर सूरज की रोशनी पड़नी शुरू हुई थी. यहां आपको बता दें कि चांद पर एक दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा वक्त पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. ऐसे में 7 तारीख के बाद से 14 दिन बाद यानी 20-21 सितंबर को चांद पर काली रात हो जाएगी.
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