
यूनिक समय, नई दिल्ली। गूगल पर एक बार फिर से मोनोपोली करने का आरोप लगा है। अमेरिका की एक कोर्ट ने गूगल के खिलाफ दायर किए गए एंटी-ट्रस्ट मामलों को गंभीरता से लिया है और इसके द्वारा किए गए प्रतिस्पर्धा-विरोधी कृत्यों को सही ठहराया है।
वाशिंगटन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज लियोनी ब्रिंकेमा ने गूगल के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही माना। इन आरोपों में गूगल पर डिजिटल विज्ञापन उद्योग के तीन अहम क्षेत्रों – पब्लिशर एड सर्वर, एडवर्टाइजर टूल्स, और एड एक्सचेंज – में मोनोपोली स्थापित करने का आरोप लगाया गया है।
अमेरिका की फेडरल सरकार और कई राज्य सरकारों ने गूगल के खिलाफ एंटी-ट्रस्ट कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में मुकदमा दायर किया था। जज ने इस मामले में कहा कि यह जानबूझकर प्रतिस्पर्धी कंपनियों को पीछे छोड़ने के लिए अपनी एकाधिकार शक्ति का उपयोग किया और पब्लिशर्स के लिए इसके विज्ञापन तकनीक से बचने के रास्ते को बंद कर दिया।
अगर गूगल के खिलाफ मामले में फैसला कंपनी के खिलाफ आता है, तो इसे विभाजित किया जा सकता है, जिससे कंपनी की नियंत्रण शक्ति पर अंकुश लगाया जा सकता है। हालांकि, गूगल को इस फैसले के खिलाफ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार है।
इससे पहले भी इसको कई देशों में एंटी-ट्रस्ट उल्लंघन के आरोपों का सामना करना पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप उसे भारी जुर्माना भी भुगतना पड़ा है। वह अपनी प्रमुख सेवाओं जैसे Gmail, Maps, और Search का उपयोग कर डिजिटल विज्ञापन क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए हुए है, जो यूजर्स के लिए मुफ्त उपलब्ध हैं।
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