बड़े-बड़े पर्वत उठाने वाले, समुद्र लांघ जाने वाले और स्वयं ईश्वर का कार्य संवारने वाले संकटमोचन हनुमान का अवतरण चैत्र माह में पूर्णिमा तिथि को हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि यानी रामनवमी के ठीक छह दिन बाद हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व विश्वभर में हनुमत भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान हनुमान की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन विधि विधान से महाबली हनुमान की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हनुमानजी को संकट मोचन कहा जाता है। इनके पथ पर चलने वालों को कोई भी संकट नहीं मिलता है। ऐसे में चलिए जानते हैं हनुमान जन्मोत्सव यानी हनुमान जयंती की तिथि, पूजा विधि और महत्व…
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 5 अप्रैल सुबह 9 बजकर 19 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसका समापन 6 अप्रैल की सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार हनुमान जयंती 06 अप्रैल 2023, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
हनुमान जन्मोत्सव के दिन विधि विधान से बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे हनुमान जी की पूजा करते समय भगवान राम का पूजन अवश्य करें, क्योंकि प्रभु श्री राम की पूजा के बिना हनुमान जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
हनुमान जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
अब बजरंगबली की मूर्ति या प्रतिमा को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें, जिसपर पहले से ही पीले रंग का वस्त्र बिछा हुआ हो।
बजरंगबली के समक्ष घी का दीया जलाएं।
जल छिड़कर कच्चा दूध, दही, घी और शहद मिलाकर बजरंगबली का अभिषेक करें।
बजरंगबली को लाल या पीले रंग का कपड़ा, कलावा, फूल, धूप, अगरबत्ती और दीया आदि अर्पित करें।
इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ कर भक्त पूजा संपन्न कर आशीर्वाद पाने की कामना करें।
इस दिन हनुमान भक्तों को हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदर कांड और रामायण का पाठ करना चाहिए।
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