
यूनिक समय, नई दिल्ली। अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार के बीच टकराव अब खुलकर सामने आ गया है। ट्रंप प्रशासन द्वारा यूनिवर्सिटी की 2.2 अरब डॉलर की फंडिंग रोकने के फैसले के बाद हार्वर्ड ने कानूनी रास्ता अपनाते हुए सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है।
विवाद की शुरुआत तब हुई जब ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड समेत कुछ अन्य विश्वविद्यालयों की रिसर्च फंडिंग पर रोक लगा दी। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि ये संस्थान अपने परिसरों में यहूदी विरोधी गतिविधियों को रोकने में विफल रहे हैं। प्रशासन का मानना है कि गाजा युद्ध के बाद शुरू हुए फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में यहूदी विरोध की भावना देखी गई है।
2.2 अरब डॉलर की सहायता पहले ही रोक दी गई है, और अब सरकार ने एक और अरब डॉलर की फंडिंग पर रोक लगाने की धमकी दी है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इसे अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए कोर्ट का रुख किया है। यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन गार्बर ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी प्रकार की राजनीतिक दबाव में आकर अपने संस्थान की नीतियों में बदलाव नहीं करेंगे।
डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ पर हार्वर्ड पर निशाना साधते हुए कहा कि यह यूनिवर्सिटी अब पहले जैसी प्रतिष्ठा नहीं रखती और इसे अब शीर्ष शिक्षण संस्थानों में नहीं गिना जा सकता।
ट्रंप प्रशासन न सिर्फ हार्वर्ड, बल्कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी सहित अन्य संस्थानों की भी आर्थिक मदद रोक चुका है। इसका सीधा असर रिसर्च, छात्रवृत्तियों और अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर पड़ सकता है।
अब देखना यह होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय देती है और यह तनातनी अमेरिकी शिक्षा प्रणाली को किस दिशा में ले जाती है।
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