नई शोध के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि घास के हरे रंग के लिए सिर्फ क्लोरोफिल ही जिम्मेदार नहीं है. इसके हरे दिखने के पीछे कई और कारण भी हैं. आइये पता लगाते हैं.
प्रकृति में एक से बढ़कर एक खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं. जिनमें सूरज, चांद, सितारे, नदी, तलाब, झरने, पहाड़, जीव-जंतु, पेड़-पौधे और घास फूंस आदि शामिल हैं. घास से ढके मैदान और पहाड़ियों की खूबसूरती की बात ही अलग होती है. अक्सर लोगों के मन को ऐसी जगहों पर अलग ही शांति मिलती है. वैसे कभी इस बात पर गौर किया है कि घास हमेशा हरी ही क्यों होती है
अगर यह सवाल साइंस के स्टूडेंट्स से पूछा जाता है तो उनका यही जवाब होता है कि घास में एक खास तरह का पिंगमेंट होता है जिसे क्लोरोफिल कहते हैं. इसी की वजह से घास और पेड़-पौधों का रंग हरा होता है. लेकिन यह जवाब अब पुराना हो चुका है, वैज्ञानिकों इस पर एक नई थ्योरी पेश की है. उनका कहना है कि घास के हरा होने के पीछे कुछ और कारण भी हैं.
नई शोध के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि घास के हरे रंग के लिए सिर्फ क्लोरोफिल ही जिम्मेदार नहीं है. दरअसल, इसमें ऑर्गेनेल नाम के तत्व और फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया की भी बड़ी भूमिका रहती है. आसान भाषा में समझें तो फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया वह प्रक्रिया है, जिसके जरिए पौधे सूर्य की रोशनी से अपने लिए भोजन बनाते हैं.
लाइवसाइंस की रिपोर्ट के आधार पर पौधों में पाए जाने वाले ऑर्गेनेल में क्लोरोफिल के अणु होते हैं. जब सूरज की किरणें पौधों पर पड़ती हैं तो ये लाल और नीली तरंगदैर्ध्य वाली किरणों को तो अवशोषित कर लेते हैं, परंतु हरे रंग को नहीं. इसलिए हरा रंग परावर्तित होकर जब हमारी आंखों तक पहुंचता है तो हमें घास हरी दिखाई देती है.
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