श्री वृंदावन धाम में श्री बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत रोहित गोस्वामी ने यूनिक समय के संवाददाता को बताया कि एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक ठाकुर श्री बांकेबिहारी जी भक्तों के साथ सुबह-शाम होली खेली जाती है। ब्रज की होली में बिहारी जी अपने भक्तों के रंग में रंग जाते हैं। बता दें कि ब्रज में करीब 40 दिनों तक होली मनाई जाती है।
श्री बांकेबिहारी जी की होली का क्या महत्व है!
पहले बरसाने में लठमार होली होती है उसके बाद नंदगाव में होती है फिर एकादशी से बांके बिहारी मंदिर में होली शुरू होती है, जो कि निरंतर पूर्णिमा तक चलती है। गोस्वामी समाज शाम को हर रोज यहाँ पर होली गाते है और दर्शन खुलते ही यहाँ फूलों की होली खेली जाती है।
ब्रज में लड्डू होली, जलेबी होली का बड़ा ही महत्व है। उन्होंने बताया हर दिन अलग—अलग प्रकार होली खेली जाती है। रंगों की होली निरंतर पूर्णिमा तक चलती है। होली की शुरुआत बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है। बसंत पंचमी को ठा. बांकेबिहारी मंदिर में गुलाल उड़ाने से साथ ही ब्रज में होली का आगाज हो जाता है।
पांच दिनों तक चलेगी मंदिर में होली
ब्रज में देश—विदेश से काफी संख्या में भक्त अपने ठाकुरजी के साथ होली खेलने के लिए आते है। बिहारी जी अपने भक्तों के रंग में रंग जाते हैं। मंदिर में टेसू के रंगों के साथ-साथ चोवा, चंदन के अलावा अबीर गुलाल से होली खेली जाती है। ठा. बांकेबिहारी मंदिर में एकादशी से पूर्णिमा रंगभरी होली खेली जाती है।
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