मथुरा में होली की तैयारियां हुई शुरू, घरों में बनने लगी गोबर की गुलरी

मथुरा में बनने लगी गुलरी

यूनिक समय, मथुरा। जैसे-जैसे होली का त्योहार करीब आता जा रहा है, मथुरा क्षेत्र में त्योहार की तैयारियां जोरों पर हैं। विशेष रूप से होलिका दहन के लिए महिलाओं ने गोबर से गुलरी (बुरकलियां) बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे लेकर धार्मिक मान्यता और आस्था दोनों जुड़ी हुई हैं।

मथुरा में होलिका दहन पर विशेष रूप से गुलरी (बुरकलियां) की पूजा का महत्व है। महिलाएं इन बुरकलियों को घरों में बनाती हैं और फिर इन्हें होलिका दहन के दौरान पूजन के लिए इस्तेमाल करती हैं। हालांकि, आधुनिकता के प्रभाव के कारण अब यह परंपरा थोड़ा बदल गई है। पहले महिलाएं गाय और भैंस के गोबर से इन बुरकलियों को बनाने के लिए पशुपालकों के घरों से गोबर लाकर उन्हें बड़ी मेहनत से तैयार करती थीं, लेकिन अब अधिकतर महिलाएं इन्हें बाजार से खरीदने लगी हैं।

सुनीता अग्रवाल, जो हर साल बुरकलियां बनाती हैं, ने बताया, “मैं हमेशा से बुरकलियां गोबर से बनाती हूं और इन्हें पूजा के दौरान उपयोग करती हूं। इस बार भी मैंने बुरकलियां बनाई हैं और उन्हें सूखने के लिए रख दिया है।” वहीं, उमा देवी ने कहा, “पहले मैं खुद बुरकलियां बनाती थी, लेकिन अब जब मैं कॉलोनी में रहने लगी हूं, तो मुझे यह बनाने का समय नहीं मिलता। अब मैं इन्हें खरीदकर घर लाती हूं और उसी से पूजा करती हूं।”

बाजार में होली की रौनक तो है ही, साथ ही महिलाओं द्वारा गोबर की गुलरी बनाने का एक पारंपरिक पहलू भी अब और अधिक सामने आ रहा है। इस प्रकार, भले ही आधुनिकता के कारण कुछ बदलाव आए हों, लेकिन मथुरा में होलिका दहन के समय गुलरी (बुरकलियां) बनाने और उसकी पूजा करने की परंपरा आज भी कायम है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*