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23 मई को जिस दिलचस्पी के साथ लोग देशभर में मतगणना के उतार-चढ़ाव को जानने को उत्सुक होंगे, उतनी ही बेताबी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के परिणाम जानने में होगी। पीएम मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल की तरह अधूरे काम पूरे करने के लिए देश के साथ-साथ अपने संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं से एक और मौका मांगा है। पीएम के संसदीय क्षेत्र में अभी साढ़े तीन हजार करोड़ की परियोजनाएं चल रही हैं।
भाजपा का गढ़ माने जाने वाले वाराणसी ने पांच साल पहले मोदी को सांसद चुना तो वे प्रधानमंत्री बने। काशी का अपनापन स्वीकारते हुए मोदी ने यहीं के बच्चों के साथ अपना 68वां जन्मदिन मनाया। वे 20 से ज्यादा बार अपने संसदीय क्षेत्र आ चुके हैं, लेकिन 25 अप्रैल को रोड शो और नामांकन के बाद अपने चुनाव प्रचार का जिम्मा लोगों को सौंप दिया।
वाराणसी में 5 साल में विकास कार्यों की बात करें तो अन्य संसदीय क्षेत्र के लोगों को काशीवासियों से ईर्ष्या हो सकती है। काशी कायाकल्प की राह पर है। मोदी के यहां निर्वाचन के बाद वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाने की पहल हुई तो बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के समान दर्जा दिया गया। उन्होंने कैंसर के उपचार और शोध के लिए दो संस्थानों की सौगात दी है। 53,00 करोड़ रुपये खर्च कर गंगा में जल परिवहन के नए अध्याय की शुरुआत के अलावा गंगा स्वच्छीकरण की मुहिम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए एसटीपी बनाए गए हैं। बाबतपुर फोरलेन, मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन, दीनदयाल हस्तकला संकुल और रिंग रोड ने शहर की तस्वीर बदल दी है। ‘नई काशी’ की परिकल्पना साकार होने पर शहर आध्यात्मिकता से आधुनिकता की दिशा में कदम बढ़ाएगा।
नई दिल्ली और प्रदेश की राजधानियों से इतर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन से लोग उत्साहित हैं। 2015 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे और 2018 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां को क्रमश: गंगा आरती और गंगा में नौका विहार कराने की सुनहरी यादें लोगों के जेहन में ताजा हैं। उन्हें इस बात का कम गर्व नहीं है कि मोदी ने बतौर पीएम सांसद के लिए नामांकन कर उनको एक और तमगा दे दिया है। काशीवासी मोदी द्वारा ज्यादा मतों से जीत के बाद भी वड़ोदरा सीट छोड़ने और इस बार सिर्फ वाराणसी से चुनाव लड़ने को भी खुद के स्वाभिमान से जोड़ते हैं।
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