विनाशकारी बाढ़ से पीड़ित पाकिस्तान दुनिया के कई बड़े देशों से मदद की गुहार लगा रहा है। इसमें भारत भी शामिल है। अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गुरुवार को कहा कि यह भारत और पाकिस्तान के लिए जलवायु परिवर्तन पर मिलकर काम करने का समय है। बिलावल द्विपक्षीय बैठकों की एक श्रृंखला( series of bilateral meetings) के लिए अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में हैं। इससे पहले अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी UNGA की 77वीं बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पाकिस्तान में आई बाढ़ से हुए विनाश की बात बताते भावुक हो उठे थे।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने वाशिंगटन डीसी में पाकिस्तानी मीडिया के एक ग्रुप से बातचीत में कहा कि बाढ़ के कारण उनके देश की स्थिति को देखते हुए, यह समय है कि भारत और पाकिस्तान दोनों जलवायु परिवर्तन( climate change) के मुद्दे पर मिलकर काम करें।”
जरदारी ने कहा-“हमारे देश का एक तिहाई हिस्सा पानी के नीचे है। 7 में से एक व्यक्ति (बाढ़ से प्रभावित) है। हम कह रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अमेरिका और चीन को मिलकर काम करना चाहिए। (हमें) जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने के बारे में सोचना चाहिए।”
बता दें कि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ(Scientists and experts) पाकिस्तान में इस विनाशकारी बाढ़ की वजह जलवायु परिवर्तन के कारण पिघलते ग्लेशियरों को बता रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान के लोगों को 66 मिलियन अमरीकी डालर की भारी मानवीय सहायता(humanitarian aid) की घोषणा की है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बिलावल ने ग्लोबल बॉडी के अंग में परमानेंट मेंबरशिप के लिए भारत की मांग का विरोध फिर दुहराया। बिलावल ने कहा-पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वीटो(UN Security Council veto) को खत्म करने के पक्ष में है। भारत का जिक्र करते हुए भुट्टो ने कहा कि वह हमारा वहां पर पारस्परिक पार्टनर नहीं है। उन्होंने कहा कि 2018-19 ने हमारे लिए (भारत के साथ) कई कारणों से जुड़ना असंभव बना दिया है। अगर कोई एक क्षेत्र है जहां दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं, तो वह है जलवायु परिवर्तन। बिलावल ने कहा कि क्योंकि, हमने जो अनुभव किया है, मैं अपने सबसे बुरे दुश्मनों पर भी यह देखना नहीं चाहता।
पाकिस्तान में बाढ़ से 1,600 से अधिक लोग मारे गए हैं और 33 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। बाढ़ ने देश के एक तिहाई हिस्से को पानी में डूबा दिया है और लगभग 30 बिलियन अमरीकी डालर की क्षति का अनुमान लगाया गया है। बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे और सीमा पार आतंकवाद को लेकर रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। भारत द्वारा संविधान के आर्टिकल 370 को निरस्त करने, जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने और राज्य को दो भागों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध टूट गए। भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया था। भारत के इस फैसले के बाद पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ राजनयिक संबंधों(diplomatic ties) को डाउनग्रेड कर दिया था। यानी संबंध तोड़ दिए थे। वहीं भारतीय दूत को निष्कासित कर दिया था। तब से पाकिस्तान और भारत के बीच व्यापार संबंध(Trade ties ) काफी हद तक थमे हुए हैं।
अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी UNGA की 77वीं बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ का जिक्र करते हुए मदद की गुहार लगाई थी। शरीफ ने कहा- इसमें 400 बच्चों सहित 1500 से अधिक लोगों की जानें गईं। अब बीमारी और कुपोषण बड़ा खतरा है। बाढ़ से पाकिस्तान में 80 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। शरीफ ने शुक्रवार को दुनिया से पाकिस्तान जैसे देशों के साथ किए गए जलवायु अन्याय (climate injustice) को खत्म करने के लिए एक भावुक अपील की थी।
उन्होंने कहा था-जो (पाकिस्तान) ग्लोबल वार्मिंग में बहुत कम योगदान देता है और फिर भी इसके सबसे बुरे परिणामों का सामना करता है। UNGA के एक सेशन में बोलते हुए शरीफ ने कहा कि वे भारत सहित अपने सभी पड़ोसी देश के साथ शांति चाहते हैं। लेकिन दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता जम्मू-कश्मीर विवाद के न्याय और स्थायी समाधान पर निर्भर करती है। शहबाज ने जोर देकर कहा कि हम पड़ोसी हैं और अब समय आ गया है। इसका चुनाव हमको ही करना है कि हम शांति से रहें या लड़ते रहें। शरीफ ने साफ कहा कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है। 1947 के बाद से 3 युद्ध हुए हैं। इसमें दोनों तरफ दुख, गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी है।
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