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कनार्टक। इस्लामिक बैंक के नाम पर करीब 30 हजार मुस्लिमों के साथ धोखाधड़ी करने वाले मोहम्मद मंसूर खान को लेकर रोजाना कोई न कोई नया खुलासा हो रहा है. अब यह जानकारी मिली है कि कर्नाटक सरकार के एक मंत्री मंसूर खान को बेलआउट पैकेज के तौर पर 600 करोड़ रुपये देने वाले थे. लेकिन, एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की वजह से यह प्लान सफल नहीं हो सका.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मंसूर खान ने दुबई जाने से पहले एक मुस्लिम नेता को माध्यम बनाकर एक मंत्री से मुलाकात की थी. यह ताजा खुलासा हुआ है. पहले घोटाले की रकम 1500 करोड़ रुपये बताई गई थी, लेकिन शुक्रवार तक की जांच में 1700 करोड़ का घोटाला सामने आया है.
रिपोर्ट के अनुसार, मंसूर खान की मुश्किलें इस साल फरवरी तक काफी बढ़ गईं थी. उसने लोन के लिए एक बैंक का रूख भी किया था. हालांकि बैंक ने उसने सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र लाने को कहा था. अपने ऊंचे रसूख के कारण मंसूर ने एनओसी प्रमाण पत्र का जुगाड़ भी कर लिया था. हालांकि प्रमुख सचिव स्तर के एक अधिकारी ने इसमें अडंगा लगा दिया. उसने साइन करने से इनकार कर दिया था. मंत्री ने अधिकारी पर काफी दबाव भी बनाया, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ.
ज्यादा रिटर्न के लालच में लोगों को फंसाया
कर्नाटक पुलिस ने एसआईटी का गठन कर इस मामले की जांच शुरू कर दी है. बता दें कि मोहम्मद मंसूर खान ने इस्लामिक बैंक के नाम पर मुस्लिम लोगों को बड़े रिटर्न का वादा कर एक फर्जी स्कीम कि शुरुआत की थी. मंसूर ने 2006 में आई मॉनेटरी अडवाइजरी (IMA) के नाम से एक कंपनी बनाई. जिसमें उसने इनवेस्टर्स को बताया कि यह संस्था बुलियन में निवेश करेगी और निवेशकों को 7-8 प्रतिशत रिटर्न देगी. चूंकि इस्लाम में ब्याज से मिली रकम को इस्लाम विरोधी माना जाता है इसलिए उसने धर्म का कार्ड खेलते हुए निवेशकों को ‘बिजनेस पार्टरनर’ का दर्ज दिया.
मौलवी और नेताओं का लिया सहारा
मैनेजमेंट ग्रैजुएट मंसूर खान ने लोगों को भरोसा दिलाया कि 50 हजार के निवेश पर उन्हें तिमाही, छमाही और सालाना अवधि के अंतर्गत ‘रिटर्न’ दिया जाएगा. इस तरह उसने ब्याज वाली मुसलमानों की धारणा को खत्म कर दिया. मंसूर ने इस स्कीम को सफल बनाने के लिए मौलवियों और मुस्लिम नेताओं का सहारा लिया. सार्वजनिक तौर पर वह और उसके कर्मचारी हमेशा साधारण कपड़ों में दिखते, लंबी दाढ़ी रखते और ऑफिस में ही नमाज पढ़ते. इतना ही नहीं शुरुआत में निवेशकों को नगद रिटर्न मिलता और बड़े निवेशकों को चेक दिए जाते, जिससे उसकी योजना का और ज्यादा प्रचार हुआ.
धर्म को बनाया फंसाने का हथकंडा
आईएमए में पांच लाख रुपये लगा चुके नाविद ने बताया कि उसने मुसलमानों को धार्मिक भावनाओं के जरिए फंसाने का हथकंडा अपनाया. हालांकि उसके इस फ्रॉड का अंदाजा साल 2017 से ही निवेशकों को होने लगा था, जब लोगों का रिटर्न गिरकर पहले 9 से 5 फीसदी तक आया और फिर 2018 आते-आते सिर्फ 3 फीसदी रह गया. इस साल फरवरी में रिटर्न घटकर मात्र 1 फीसदी रह गया. लेकिन तगड़ा झटका तो निवेशकों को मई में लगा जब एक फीसदी रिटर्न भी खत्म हो गया. इसके बाद लोगों का सब्र का बांध टूट गया और अपनी पूंजी वापस लेने की मांग की.
एसआईटी का किया गठन
मंसूर खान ने निवेशकों के बढ़ते विरोध को देख पहले तो ईद पर ऑफिस बंद की. मगर जब लोगों की विदड्रॉल रिक्वेस्ट ज्यादा आने लगी दुबई भाग गया. कर्नाटक पुलिस एसआईटी का गठन किया है और इस मामले की जांच शुरू कर दी है.
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