नई दिल्ली। India-Pakistan Nuclear War: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान भारत को कई बार परमाणु युद्ध की गीदड़भभकी दे चुका है। ऐसे में अगर दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध होता है तो 5 करोड़ से 12.5 करोड़ लोग एक सप्ताह से भी कम समय के भीतर मारे जाएंगे, जो कि छह साल तक चले द्वितीय विश्व के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर और रटगर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह बातें सामने आई हैं। मौजूदा समय में भारत और पाकिस्तान में से प्रत्येक के पास लगभग 150 परमाणु हथियार हैं और यह संख्या 2025 तक 200 से अधिक होने की उम्मीद है।
क्या कहते हैं शोधकर्ता
साइंस एडवांसेज नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन से जुड़ी टीम के मुखिया शोधकर्ता ब्रियन टून ने कहा, तस्वीर भयावह है। इस तरह के युद्ध से न सिर्फ लाखों लोग मारे जाएंगे बल्कि भयंकर नतीजे समाने आएंगे। टून का मानना है कि अब तक के इंसानी इतिहास में इस संभावित युद्ध के भयावह असर का उदाहरण नहीं मौजूद है। दोनों देश तेजी से अपने शस्त्रागार का निर्माण कर रहे हैं। उनके पास बड़ी आबादी है, इसलिए बहुत से लोगों को इन शस्त्रागार से खतरा है।
ऐसे किया अध्ययन
इस तरह का संघर्ष कितना बुरा हो सकता है, यह पता लगाने के लिए टीम ने कंप्यूटर सिमुलेशन की मदद से 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में गिराए गए परमाणु बमविस्फोटों से प्रभावित हुए पृथ्वी के वायुमंडल की विस्तृत श्रृंखला को तैयार किया। उनके विश्लेषण के मुताबिक, तबाही कई चरणों में आएगी।
चरणों में आएगी तबाही
युद्ध के पहले सप्ताह में भारत और पाकिस्तान संयुक्त रूप से एक दूसरे के शहरों पर लगभग 250 परमाणु हथियारों का विस्फोट कर चुके होंगे। हालांकि यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि ये हथियार कितने शक्तिशाली होंगे। लेकिन शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि प्रत्येक बम सात लाख से अधिक लोगों को मार सकता है। रिपोर्ट के अनुसार परमाणु जंग का असर सिर्फ इन दोनों देशों पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि दुनिया की सामान्य मृत्युदर दोगुनी हो जाएगी।
भारत-पाक मसला सबसे गंभीर
सिर्फ भारत-पाकिस्तान ही नहीं बल्कि इस पूरे अध्ययन में इजरायल, चीन, फ्रांस ,रूस, फलस्तीन समेत मध्य एशिया के कुछ देशों की स्थिति को भी दर्शाया गया है। इन्हें भी एक खतरा बताया गया है। लेकिन भारत- पाकिस्तान के मसले को सबसे गंभीर इसलिए बताया गया है क्योंकि दोनों पड़ोसी देश परमाणु क्षमता से लैस हैं।
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