जयपुर। भारतीय सेना ने निगरानी बढ़ाने और युद्ध अभियानों में मदद के लिए रोबोटिक डॉग ‘म्यूल’ विकसित किया है। राजस्थान के पोकरण में कल यानी 12 मार्च को होने वाले तीनों सेनाओं के संयुक्त अभ्यास ‘भारत शक्ति’ में इसका प्रदर्शन किया जाएगा। थर्मल कैमरों और रडार से लैस इस रोबोटिक डॉग की डिजाइन इसे बर्फ, रेगिस्तान, ऊबड़-खाबड़ जमीन, ऊंची सीढ़ियों और पहाड़ी इलाकों में हर बाधा को पार करने में सक्षम बनाती है। यह दुश्मन के ठिकानों पर फायरिंग भी कर सकता है।
#BharatShakti
स्वदेशीकरण से सशक्तिकरणDisplaying the might of indigenous weapons & equipment of #IndianArmedForces.
On 12 Mar 2024 at #Pokaran Field Firing Ranges (Rajasthan).#AatmanirbharBharat#YearofTechAbsorption@DefenceMinIndia@HQ_IDS_India@IAF_MCC@indiannavy pic.twitter.com/poRvYHjOZh
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) March 9, 2024
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कल प्रदर्शनी का अवलोकन करने के लिए पोकरण आएंगे। पीएम मोदी मंगलवार को पोकरण में भारत शक्ति अभ्यास का अवलोकन करने के लिए फलोदी के कुण्डल ऐयरबैस पर उतरेंगे। यहां कुछ देर ठहरने के बाद पोकरण के भारत शक्ति अभ्यास का अवलोकन करने के लिए रवाना हो जाएंगे। आईये अब जानते है भारत शक्ति अभ्यास के दौरान दिखाई देने वाले भारतीय सेना के रोबोटिक डॉग म्यूल की खूबियों के बारे में…
‘भारत शक्ति’ अभ्यास में सेना के कई स्वदेशी हथियारों और उपकरणों की ताकत का प्रदर्शन किया जाएगा। इससे जुड़ा एक शॉर्ट वीडियो सेना ने एक्स पर पोस्ट किया। इसमें रोबोटिक डॉग म्यूल भी एक्शन में नजर आ रहा है। इसे पिछले साल मिलिट्री इंटेलिजेंस में शामिल किया गया था। सेना कॉम्बेट ऑपरेशन में इसका इस्तेमाल बढ़ाने पर विचार कर रही है।
रोबोटिक डॉग स्वतंत्र रूप से खुद को नेविगेट कर सकता है। वाई-फाई या एलटीई के जरिए भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सेना डिजाइन ब्यूरो के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल सी.एस. मान ने बताया कि 50 मिनट के भारत शक्ति अभ्यास में एलसीए तेजस, एएलएच एमके-4, मोबाइल एंटी ड्रोन सिस्टम, टी-90 टैंक, धनुष, के-9 वज्र, पिनाका भी शामिल होंगे।
रोबोटिक डॉग म्यूल देखने और कद-काठी में श्वान जैसा नजर आता है। इसकी चार टांगें हैं। वजन करीब 51 किलो और लंबाई 27 इंच है। यह एक घंटे में रिचार्ज हो जाता है और लगातार दस घंटे काम कर सकता है। म्यूल की पेलोड क्षमता 12 किलोग्राम है। इसका इस्तेमाल इमारतों या खुफिया इलाकों में छिपे दुश्मनों की लोकेशन जानने में भी किया जा सकता है।
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