नई दिल्ली। हैप्पीनेस यानी खुशी वैसे तो इंसान हमेशा ही खुशी की तलाश में भटकता रहा है लेकिन मौजूदा दौर में यह वक्त की बहुत बड़ी जरूरत है। महात्मा गांधी ने यंग इंडिया में लिखा था, मौत के बीचोंबीच जिंदगी बसती है। असत्य के बीच सत्य छिपा होता है। अंधेरे के भीतर से ही रोशनी निकलती है। कुछ इसी विचारधारा को लेकर 29 मई को देश में इंडिया हैप्पीनेस फेस्टिवल 2021 (ऑनलाइन) का आयोजन किया गया था। इसके आयोजन का लक्ष्य था लोगों में खुशी के कुछ गुर डालना ताकि उन्हें मानसिक शांति मिल सके और वह जीवन में अधिक सकारात्मक हो सकें। यह इंडियन हैप्पीनेस फेस्टिवल का पहला आयोजन था और अब ऐसे आयोजन हर साल किए जाते रहेंगे।
इस आयोजन के लिए ली गई रजिस्ट्रेशन फीस कोविड से जुड़े राहत कार्यों में खर्च की जाएगी। इस दौरान ग्लोबल हैप्पीनेस एक्सपर्ट्स और हैप्पीनेस रिसर्चर्स ने अपने विचार लोगों के बीच बांटे। इसके बाद दो पैनल डिसक्शन भी हुए जिसमें मीडिया एक्सपर्ट्स, ईओ और मनोरंजन जगत के दिग्गजों ने पार्टिसिपेट किया. भारत में हैप्पीनेस पर प्रमुखता से काम कर रहे एमडीआई (गुड़गांव) के प्रोफेसर राजेश पिलानिया के वक्तव्य के साथ हैप्पीनेस फेस्टिवल की शुरुआत की गई। उन्होंने पांच शोधों पर आधारित हैप्पीनेस टिप्स साझा किए गए जिसमें बताया गया कि कैसे खुशी को एक विकल्प बनाना होगा और इसे खुद चुनना होगा और साथ ही, खुशी से जुड़े विश्वासों को बदलना होगा। वहीं उन्होंने बताया कि खुशी के लिए कृतज्ञता और क्षमा कितनी जरूरी हैं। वहीं नकारात्मक लोगों से दूर रहना भी जरूरी है।
उनके बाद खुशी पर भूटान के ग्रॉस हैप्पीनेस सेंटर में अपने अनुभवों को शेयर किया ग्रॉस नेशनल के पहले कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सामदु छेत्री ने। उन्होंने बताया कि करुणा की जरूरत इस दौर में बहुत अधिक है और ग्रैटीट्यूड खुशी के लिए कितना जरूरी है। वर्कप्लेस हैप्पीनेस से जुड़े पैनल डिस्कशन में इंडस्ट्री से जुड़े कई दिग्गज शामिल हुए थे। उद्योग जगत के इन दिग्गजों ने इस पर बहुत सारी रोचक जानकारियां दीं जैसे कि कार्यस्थल पर खुशी को लेकर कई जरूरी इनपुट दिए गए।
इनमें कर्मियों में लक्ष्य की भावना, सेलिब्रेशन, बातचीत के खुले अवसर, योग, ध्यान जैसी अपनी व्यक्तिगत खुशी की रणनीतियों को भी साझा किया गया। एंटरटेनमेंट और मीडिया इंडस्ट्री की भूमिका पर पैनल चर्चा में प्रोड्यूसर्स गिल्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नितिन तेज आहूजा, मृदु भंडारी, संपादक, स्पेशल प्रोजेक्ट्स के अलावा कई बड़े एडिटर्स मौजूद थे। इन दिग्गजों ने मनोरंजन और मीडिया की भूमिका पर बहुत ही रोचक जानकारी शेयर की। मनोरंजन जगत के माध्यम से हैप्पीनेस का प्रसार करना और मीडिया के जरिए तथ्यों के अलावा सकारात्मक खबरों को भी कवर करने की जरूरत पर बल दिया गया।
प्रोफेसर रूत वेनहोवन, जो कि वर्ल्ड डाटाबेस ऑफ हैप्पीनेस के डायरेक्टर हैं ने, स्पेशल रिसर्च के बार में बताया। उन्होंने कई शोधों पर आधारित इनपुट दिए जिससे खुशी को कुछ बेहतर तरीके से समझा और पाया जा सकता है। पीएचडी (हार्वर्ड), इंडियन मैनेजमेंट मूवमेंट के जनक, लंदन बिजनेस स्कूल के पूर्व प्रोफेसर और आईआईएम कलकत्ता के पूर्व प्रोफेसर रहे पद्म भूषण डॉक्टर एमबी अत्रेय ने भारतीय प्राचीन ज्ञान से क्या क्या सीखा जा सकता है, इस पर जानकारी दी। हैप्पीनेस स्ट्रेटिजी फाउंडेशन की ओर से फेस्टिव में भागीदारी करने वालों से कई मजेदार सवाल जवाब किए गए जिसमें उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
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