नई दिल्ली। अमेरिका में ब्याज दरें घटाने के बाद दुनियाभर के निवेशकों की चिंताएं अमेरिका की आर्थिक ग्रोथ को लेकर बढ़ गई है। इसीलिए शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है. गुरुवार के सत्र में बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 463 अंक गिरकर 37018 पर बंद हुआ है. वहीं, एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 138 अंक टूटकर 10,980 पर बंद हुआ है. इस गिरावट में निवेशकों के कुछ ही घंटों में 1.46 लाख करोड़ रुपये डूब गए है. इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को फिलहाल चिंता करने की जरूरत नहीं है. लेकिन नए निवेश से बचना चाहिए और हर गिरावट पर मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों पर दांव लगाने की सलाह है.
अब क्या करें निवेशक- एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल ने न्यूज18 हिंदी को बताया है कि मौजूदा समय में अच्छी बात म्यूचुअल फंड की ओर से शेयर बाजार में निवेश बढ़ना है. निवेशकों को फिलहाल शेयर बाजार में अच्छी फंडामेंटल और गुड गवर्नेंस वाली कंपनियों के शेयर में पैसा लगाना चाहिए. वहीं, म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिये निवेश को फिलहाल रोकना नहीं चाहिए. लेकिन पोर्टफोलियो में सरकारी बॉन्ड्स वाली स्कीमों को शामिल कर सकते हैं.
डूबे 1.46 लाख करोड़ रुपये- आसिफ इकबाल कहते हैं कि विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली के चलते गुरुवार के सत्र में कुछ घंटों के दौरान सेंसेक्स पर लिस्टेड कंपनियों के शेयरों की वैल्यू 1.46 लाख करोड़ रुपये घट गई है.
सेंसेक्स 463 अंक गिरकर 37018 पर बंद हुआ है
क्यों गिरा शेयर बाजार- एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार में गिरावट मुख्य 5 वजहें है. इसमें सबसे बड़ी घरेलू कंपनियों के तिमाही नतीजों का अनुमान से बेहद खराब रहना है. साथ ही, ट्रेड वॉर की वजह से फिर मंदी की चिंताएं बढ़ने से सेंसेक्स-निफ्टी में भारी गिरावट रही है.
ग्लोबल ग्रोथ की चिंताएं- रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने भारत की जीडीपी 7.9 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दी है. इसकी वजह ग्लोबल स्तर पर धीमी गति और कमजोर मानसून को बताया है. इसके अलावा पहली तिमाही के सुस्त नतीजों को देखकर भारत की जीडीपी में कटौती कर दी है. रिफाइनरी प्रोडक्ट्स के प्रोडक्शन में कोर सेक्टर में सुस्ती देखी गई है. साथ ही रिपोर्ट से पता चलता है कि घरेलू मांग में कमी आई है, उपभोक्ता, अर्थव्यवस्था और औद्योगिक क्षेत्र में सुस्ती आई है, जबकि नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल सेक्टर कमजोर हुए हैं. इसके अलावा निवेश में भी कमजोरी आई है.
ट्रेड वॉर –एक्सपर्ट्स के मुताबिक अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर जारी रही तो दुनियाभर में मंदी का खतरा है. जापान के मिजुहो बैंक के एशिया एंड ओसेनिया इकोनॉमिक्स हेड विष्णु वराथन का कहना है कि अप्रैल-जून तिमाही में चीन की कमजोर ग्रोथ का असर बाकी एशिया पर भी पड़ सकता है. चीन के एक्सपोर्ट के साथ ही इंपोर्ट में गिरावट ज्यादा चिंता की बात है क्योंकि, एशिया के बाकी देशों के लिए चीन प्रमुख बाजार है.
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल- चीन की आर्थिक विकास दर (जीडीपी) अप्रैल-जून तिमाही में 6.2% रही. यह 27 साल में सबसे कम है. इससे कम ग्रोथ 1992 की जनवरी-मार्च तिमाही में दर्ज की गई थी. इस साल जनवरी-मार्च में ग्रोथ 6.4% रही थी. अमेरिका के ट्रेड वॉर की वजह से चीन की विकास दर में गिरावट आ रही है. चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है.
सरकार के फैसले से विदेशी निवेशक नाराज़ – सरकार ने फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स यानी FPI के तौर पर पैसा लगाने वाले विदेशी निवेशक पर सरचार्ज लगाया है. इस वजह से वो लगातार भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे है. आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में अति समृद्ध लोगों पर सरचार्ज बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था. बजट की घोषणाओं के अनुसार, दो करोड़ रुपये से पांच करोड़ रुपये के बीच आय वाले व्यक्तियों पर सरचार्ज 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया है. वहीं, पांच करोड़ रुपये या उससे अधिक की सालाना आय प्राप्त करने वाले व्यक्तियों पर सरचार्ज 15 फीसदी से बढ़ाकर 37 फीसदी कर दिया गया है.
सरचार्ज में की गई वृद्धि के बाद दो करोड़ रुपये से पांच करोड़ रुपये के बीच आय वाले व्यक्तियों को 39 फीसदी और और पांच करोड़ रुपये और उससे अधिक आय वाले व्यक्तियों को 42.7 फीसदी कर चुकाना होगा. ज्यादातर एफपीआई सालाना पांच करोड़ रुपये से अधिक की आय अर्जित करते हैं. इस प्रकार वे सबसे ज्यादा कर के दायरे में आएंगे.
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