इस्लामाबाद। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय हजारों परिवार ऐसे थे, जिनका बचपन जहां बीता था, वह जगह छोड़ना पड़ा। हालांकि पैतृक जगह जाने की टीस हर किसी के मन में रहती है। ऐसी ही एक भारतीय महिला 75 वर्षों के बाद उस जगह पहुंची, जहां उनका बचपन बीता था। आइए जानते हैं कौन हैं वह महिला और बचपन के घर पहुंचने के लिए उन्हें क्यों इतना लंबा इंतजार करना पड़ा। एक रिपोर्ट…
सद्भावना पहल के तहत पाकिस्तानी हाई कमीशन ने भारतीय महिला को 3 महीने का वीजा जारी किया है। जिसके बाद 92 वर्षीय भारतीय महिला रीना छिब्बर 75 साल बाद पाकिस्तान में अपने पैतृक घर पहुंची। 1947 में बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया था। स्थानीय मीडिया के अनुसार महिला शनिवार को पाकिस्तान के रावलपिंडी में प्रेम निवास स्थित अपने पुश्तैनी घर पहुंचीं। वे वाघा-अटारी सीमा से होकर पाकिस्तान में दाखिल हुईं। उन्होंने दोनों देशों की सरकारों से एक साथ काम करने का आग्रह किया ताकि हमारे लिए आने और जाने में आसानी हो सके। उन्होंने वीजा प्रतिबंधों को भी कम करने की रिक्वेस्ट की है।
भारतीय महिला रीना ने बताया कि उनके जेहन में पुरानी यादें आज भी ताजा हैं। वे यहां के बहु-सांस्कृतिक समुदाय की यादें ताजा करते हुए कहती हैं उन्हें रावलपिंडी सीमा की ओर से भारत ले जाया गया, उस रास्ते की धुंधली यादें आज भी उन्हें याद हैं। उन्होंने कहा कि मेरे भाई बहनों के दोस्त मुसलमान भी थे और अन्य समुदाय के लोग भी थे। वे हमेशा हमारे घर आया करते थे। हमारे घर में सभी को एक समान सम्मान दिया जाता था।
1947 में बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया था, तब रीना की उम्र महज 15 थी। महिला ने कहा कि वह अपने पुश्तैनी घर पहुंचने से बेहद खुश हैं। उन्हें अपने पड़ोसियों की याद है। वे गलियां, जहां उनका बचपन बीता था, आज भी दिल के करीब हैं। जानकारी के अनुसार रीना ने 1965 में भी वीजा के लिए आवेदन किया था लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव के कारण वीजा नहीं मिल सका। अब करीब 75 साल के बाद उन्हें 3 महीने का वीजा मिला है।
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