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नई दिल्ली। खाने का तेल आम आदमी का तेल निकाल रहा है. पिछले 1 साल के अंदर खाने के तेल की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। NCDEX पर सोया तेल का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट 1,454 रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गया। MCX पर पाम ऑयल के मई सीपीओ कॉन्ट्रैक्ट ने 1249 का उच्च स्तर छुआ और अभी यह 1,245 रुपये के करीब ट्रेड कर रहा है।
अभी भी नहीं मिलेगी राहत
महामारी का बढ़ता डर खाने के तेल की मांग पर निकट अवधि में प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और कीमत में वृद्धि रुक सकती है। अगले कुछ दिन सोया और पाम ऑयल की कीमतें कुछ नियंत्रित रह सकती हैं, लेकिन ऐसा बेहद अधिक समय तक नहीं रह सकता. मई माह में इनकी कीमत और उच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।
जानें कितना महंगा हुआ तेल
कोरोना की मार झेल रहे आम आदमी पर महंगाई का बोझ भी बढ़ रहा है। एक साल में पॉम ऑयल से लेकर मूंगफली, सनफ्वार और सरसों तेल तक कीमतें दोगुना तक बढ़ गई हैं। मई 2020 में पॉम ऑयल की कीमत 76 रुपये प्रति किलो थी लेकिन 1 साल बाद यानी मई 2021 में इसकी कीमत 137 प्रति किलो हो गई है। वहीं मई 2020 में मूंगफली तेल की कीमत 120 रुपये प्रति किलो थी लेकिन 1 साल बाद यानी मई 2021 में इसकी कीमत 196 प्रति किलो हो गई है। 70 परसेंट तक निर्भरता के चलते इसमें अंतरराष्ट्रीय कीमतों का बड़ा योगदान है। कोरोना के चलते सप्लाई चेन भी डिस्टर्व है.मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में रमजान और लॉकडाउन के चलते उत्पादन भी घटा है।
चॉकलेट, पेस्ट्री, साबुन के दाम बढ़े
खाने के तेलों के दाम बढ़ने के चलते अब चॉकलेट, पेस्ट्री, साबुन, लिपस्टिक और बायोफ्यूल जैसे प्रोडक्ट तैयार करने वाली कंपनियों की लागत बढ़ेगी और इनके दामों में भी बढ़ोतरी होगी। हालांकि, इस असर साफ तौर पर देखा जा रहा है। खाद्य तेलों की महंगाई अब आम महंगाई में तब्दील हो रही है। रेस्टोरेंट के खाने से लेकर चॉकलेट, पेस्ट्री, साबुन, लिपस्टिक और बायोफ्यूल सबकी लागत बढ़ रही है और अब इनके दाम भी बढ़ेंगे। जानकारों के मुताबिक कोरोना और बढ़ती महंगाई के चलते डिमांड तो घटेगी ही, भारतीय ग्राहक की फूड हैबिट भी बदल सकती है।
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