मथुरा में कल मनाई जाएगी जन्माष्टमी, जानें शुभ महूर्त और संपूर्ण पूजा विधि

यूनिक समय, मथुरा। ब्रज में कल श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। घर—घर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की महिमा का गुणगान होगा। बाल गोपाल, नंदलाल, श्री कृष्ण, कान्हा जैसे नामों से विख्यात भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव, देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हर वर्ष बड़ी धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। पं. अजय कुमार तैलंग वर्ष 2020 में ये पर्व 12 अगस्त यानी कल (बुधवार) को मनाया जएगा। हिंदू पंचांग की मानें तो भगवान कृष्ण को समर्पित ये पावन त्योहार, हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में ही पड़ता है।

जन्माष्टमी 2020 का शुभ मुहूर्त और समय
जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2020
श्री कृष्ण जन्माष्टमी- 12 अगस्त, बुधवार
निशीथ पूजा मुहूर्त- 24:04:31 से 24:47:38 तक
अवधि- 0 घंटे 43 मिनट
जन्माष्टमी पारण मुहूर्त- 05:48:49 के बाद 13, अगस्त को

कृष्ण जन्मोत्सव पर संपूर्ण पूजा-विधि
बाल गोपाल का जन्म रात में 12 बजे के बाद होता है। ऐसे में जन्मोत्सव के दौरान ही बाल कृष्ण की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें।
इसके लिए सबसे पहले शुद्ध दूध से और बाद में दही, फिर गाय का देसी घी, फिर शहद से भी उनका स्नान करें और अंत में गंगाजल से उनका अभिषेक करें।

मथुरा में धूमधाम से मनाया जाएगा ...

  • चूंकि माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, ऐसे में उन्हें स्नान कराने के बाद एक नवजात की भांती उन्हें भी एक स्वच्छ लगोंटी पहनाना शुभ होता है।
  • लंगोट के बाद भगवान कृष्ण को दूसरे नए वस्त्र पहनानें चाहिए।
  • इस दौरान भक्तों को सच्ची भावना से भगवान का स्मरण करते हुए, उनके जन्म के उपलक्ष्य में मंगल गीत भी जाने चाहिए।
  • अब बाल कृष्ण को एक साफ आसान पर बैठाएं।
  • इसके पश्चात उनका पूर्ण श्रृंगार करते हुए, उनके हाथों में चूड़ियां, गले में वैजयंती माला और पैरों में पैजनिया पहनाएं।
  • अब उनके सिर पर एक मोरपंख लगा सुंदर मुकुट पहनाएं. साथ ही उनके पास एक सुन्दर सी बांसुरी भी रखें।
  • अब उनकी प्रतिमा पर चंदन और अक्षत लगाते हुए, उनके समक्ष धूप-दीप जलाएं और उनकी पूजा-आराधना करें।
  • इसके बाद उन्हें भोग की सामग्री अर्पण करें।
  • भोग में उन्हें अपनी राशि अनुसार ही पकवान भेट करें लेकिन ध्यान रहे कि भोग की सभी वस्तुओं में तुलसी के कुछ पत्ते जरूर होने चाहिए।
  • अब भगवान को एक झुले पर बिठाकर, एक-एक करके घर के सभी सदस्य उन्हें झुला झुलाएं।
  • इस दौरान मंत्र उच्चारण के साथ ही “नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की” का भी गुणगान किया जाता है।
  • अब रातभर भगवान की पूजा करते हुए, अंत में जिन पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया था, उसे सभी में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*