जोशीमठ संकट: मकान की कीमत 15-20 लाख, मुआवजा सिर्फ एक लाख, सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे स्थानीय लोग

Joshi_Math

लोग बेहतर मुआवजे की मांग पर अड़े हैं और उनका प्रदर्शन लगातार जारी है.

उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात हर पल बिगड़ रहे हैं. संकटग्रस्त इमारतों को तोड़ने का फरमान सुनाया जा चुका है. जोशीमठ में दरकते भवनों को जमींदोज करने का काम आज यानी बुधवार (11 जनवरी) से शुरू हो जाएगा. इस अभियान के तहत उन होटल्स, घरों और भवनों को ढहाया जाएगा, जिन्हें रहने के लिए असुरक्षित घोषित किया जा चुका है.

हालांकि, स्थानीय लोग ऐसा नहीं चाहते हैं. लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने पूरे जीवन की कमाई अपने आशियाने को बनाने में लगा दी है और अब वह इसे अपनी आंखों के सामने टूटता हुआ नहीं देख सकते. लोग सरकार की ओर से दिए जाने वाले मुआवजे की रकम से भी नाराज हैं. लोगों का कहना है कि 15-20 लाख रुपये के मकान का मुआवजा सिर्फ एक लाख रुपये दिया जा रहा है.

प्रशासन की ओर से क्षतिग्रस्त मकानों को ढहाने के लिए 1 लाख 30 हजार रुपये का मुआवजा तय किया है. हालांकि, स्थानीय लोग इसे बेहद कम बता रहे हैं. लोग बेहतर मुआवजे की मांग पर अड़े हैं और उनका प्रदर्शन लगातार जारी है. लोगों का कहना है कि बुधवार को होटल तभी गिराने दिए जाएंगे, जब उनके लिए उचित मुआवजे की घोषणा हो जाएगी. इस बीच मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बाजार दर पर मुआवजा देने का ऐलान किया है.

सरकार ने जोशीमठ में प्रत्येक प्रभावित परिवार को डेढ़ लाख रुपये की अंतरिम राहत देने की घोषणा की है. पीड़ित परिवारों को शिफ्ट करने पर तुरंत ही उन्हें 50 हजार रुपये दिए जाएंगे. इसके साथ ही प्रभावित परिवारों को उनकी आवश्यकतानुसार खाद्यान्न किट और कंबल वितरित किए गए हैं. प्रशासन की ओर से प्रभावितों को कुल 70 खाद्यान्न किट, 70 कम्बल और 570 ली. दूध वितरित किया गया है. कुल 80 प्रभावित व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया है.

उधर लोगों के बढ़ते विरोध के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ पीड़ितों की सहायता के लिए अपने एक माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जोशीमठ प्रभावितों के साथ है और उन्हें राहत पहुंचाने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं.

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