करवाचौथ के लिए सुहागिनों ने तैयारियां तो शुरू दी हैं। त्योहरों के इस मौसम में बाजारों की रौनक देखते बन रही है। इस व्रत में सही पूजा विधी का बहुत महत्व है क्योंकि जब तक हम सही मुहूर्त औऱ सही विधी-विधान से पूजा नहीं करते हमें पूजा का लाभ नहीं मिलता। तो आगर आपका भी पहला करवा चौथ है और पूजा विधी की जानकारी नहीं है या मुहूर्त को लेकर कनफ्यूजन है तो हम आपको बताने जा रहे हैं सही विधी जिससे आपकी यह समस्या दीर हो जाएगी। यह तो सभी को मालूम है कि करवा चौथ का व्रत पति की लम्बी उम्र के लिए रखा जाता है। छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। जिससे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
पूजा विधी
सुबह चार बजे के बाद से ही करवा चौथ का व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नहाकर स्वच्छ कपड़े पहन लें एंव श्रृंगार कर लें। इस दिनपर करवा की पूजा-आराधना करने के साथ ही शिव-पार्वती की पूजा पूजा कें क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था।
करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा की पूजा होती है। इसके बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समान किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
सामाग्री में सिंदूर, मेंहदी, शुद्ध घी, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, दही, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, आलता, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा शामिल करें।
शुभ मुहूर्त
करवा चौथ के दिन शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। चंद्रोदय- रात्रि 8: 16 से 24 मिनट के बीच पूजा मुहूर्त- 7:30 मिनट से 9:00 बजे तक करवा चौथ व्रत वाले दिन शुभ मुहूर्त में ही पूजा करना उत्तम माना गया है। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है। पारिवारिक जीवन खुशहाल बना रहता है। लेकिन इस दिन व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें। और रात्रि में चांद के दर्शन करने के बाद अपना व्रत खोल लें।।
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