नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस सांसद और बांग्ला अभिनेत्री नुसरत जहां और व्यवसायी निखिल जैन की शादी खत्म होने की चर्चा जोरों पर है। इस बारे में नुसरत का कहना है कि चूंकि उन्होंने तुर्की में शादी की इसलिए वो भारत में मान्य नहीं। और इस वजह से उन्हें तलाक की जरूरत नहीं। इसके साथ ही देश में शादी के रजिस्ट्रेशन पर बात चल पड़ी। मैरिज सर्टिफिकेट न लेना कई लीगल बातों में रुकावट लाता है। तो आइए जानते हैं मैरिज सर्टिफिकेट से जुड़ी सारी जरूरी बातें।
भारत में मैरिज सर्टिफिकेट के क्या मायने हैं?
ये एक तरह की आधिकारिक घोषणा कि आप शादीशुदा हैं। भारत में शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए दो एक्ट हैं- एक तो हिंदू विवाह अधिनियम (1955) दूसरा विशेष विवाह अधिनियम (1954)। हिंदू विवाह एक्ट में दोनों पक्ष अविवाहित या तलाकशुदा हों या फिर पहली शादी के समय का साथी जीवित न हो, तो शादी की जा सकती है।
ये अधिनियम हिंदुओं पर लागू होता है, जबकि विशेष अधिनियम भारत के सभी नागरिकों के लिए लागू होता है। दोनों ही एक्ट ये तय करते हैं कि फलां जोड़ा शादीशुदा है और इस तरह से दोनों की एक-दूसरे के लिए कुछ कानूनी जिम्मेदारियां हैं। साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने मैरिज सर्टिफिकेट बनाना तय किया. इसका मकसद महिलाओं को उनके हक दिला पाना था।
क्या होता है अगर कोई शादी रजिस्टर न करवाए?
इसमें एक सवाल तो ये आता है कि क्या रजिस्ट्रेशन न करवाने पर शादी अमान्य हो जाती है? इसका जवाब है- नहीं। किसी ने शादी का रजिस्ट्रेशन न कराया तो भी उसकी शादी वैध होगी, अगर उसके सामाजिक प्रमाण हों। इसके अलावा तलाक की कार्रवाई भी उसी तरह से होगी. हालांकि शादी रजिस्टर कराने से शादी का कानूनी सबूत होता है। मैरिज सर्टिफिकेट कई जगहों पर काम आता है, जैसे बच्चे की कस्टडी में, इंश्योरेंस क्लेम में, बैंक नॉमिनी के लिए और विरासत की हर चीज पर हक मांगने के लिए भी।
देश में मैरिज सर्टिफिकेट कौन जारी करता है?
हिंदू एक्ट के तहत शादी रजिस्टर कराने के लिए सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के पास आवेदन कर सकते हैं, जिसके कानूनी क्षेत्र में पति-पत्नी रहते हों। ये आवदेन छुट्टियों के अलावा किसी भी दिन किया जा सकता है।
क्या हम देश में किसी भी जगह शादी रजिस्टर कराने के लिए आवेदन दे सकते हैं?
जैसा कि हम बता चुके हैं, ये आवेदन कोई भी कपल अपने इलाके के मजिस्ट्रेट के दफ्तर में कर सकता है। हालांकि ये केवल ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए है। इसके अलावा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी किया जा सकता है।
क्या पासपोर्ट का आवेदन करते हुए मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी है?
नए पासपोर्ट नियमों के तहत साल 2018 में ये तय किया गया कि पासपोर्ट बनवाते हुए मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी। दरअसल ये घोषणा उन कई मामलों को देखते हुए की गई, जिसमें शादी में मुश्किलों से जूझ रही महिलाओं को पासपोर्ट में भी कागजी मुश्किलें झेलनी पड़ीं. यहां तक कि अब शादी के बिना पैदा हुए बच्चों का भी पासपोर्ट बन सकता है। इसके लिए कुछ अलग नियम होते हैं।
शादी के रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट पाने में कितना समय लगता है?
अब प्रक्रिया में काफी तेजी आ चुकी है। इसके लिए केवल 7 से 15 दिन का समय लगता है और सर्टिफिकेट मिल जाता है। हालांकि इसके लिए जोड़े को मजिस्ट्रेट के दफ्तर में जाना होता है और कुछ फॉर्म भरने होते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में दफ्तर के अपॉइंटमेंट के लिए कुछ दिन लगते हैं, जैसे हिंदू मैरिज एक्ट के तहत अपॉइंटमेंट पाने में लगभग 15 दिन लगते हैं, जबकि स्पेशल मैरिज एक्ट में ये मियाद 30 दिन भी हो सकती है।
क्या मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना महंगा है? इसमें कितना खर्च आता है?
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी के रजिस्ट्रेशन का खर्च 100 रुपए है। ये एप्लीकेशन की फीस होती है। वहीं स्पेशल मैरिज एक्ट में ये फीस 150 रुपये होती है। इसके अलावा कपल को कुछ अतिरिक्त पैसे भी देने होते हैं, जैसे 400 से 500 रुपये। ये एफिवेविट का चार्ज होता है, जो आवेदन के साथ जमा कराना होता है।
मैरिज सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे हो, इसे कैसे ट्रैक कर सकते हैं?
अगर आप अपनी शादी का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन चाहते हैं तो इसके लिए आपको संबंधित स्टेट की सरकारी वेबसाइट की लिंक में जाना होगा। यहां उस जिले को छांटें, जहां आप हैं। यहां पंजीकरण के लिए विकल्प मिलेगा, जिस पर क्लिक करने आपको सारी जानकारियां भरनी होंगी। सारी जानकारियों को एक बार अच्छी तरह से देखकर फिर सबमिट करें। इसके बाद रजिस्ट्रेशन के लिए एक तारीख मिलती है। इसमें हिंदू मैरिज एक्ट के तहत लगभग दो सप्ताह और स्पेशल एक्ट के तहत महीनेभर के भीतर रजिस्ट्रेशन हो जाता है।
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