नई दिल्ली। ट्रकों का माल-भाड़ा 20 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसकी वजह डीजल की ऊंची कीमत है अगर ऐसा होता है तो इसका असर महंगाई पर साफ दिखाई देगा। मतलब साफ है कि टमाटर के बाद अन्य सब्जियों के साथ-साथ रोजमर्रा के सामान की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। ट्रक परिचालकों की एक यूनियन ने कहा है कि अगर ईंधन की कीमत दैनिक आधार पर बढ़ती रही तो भाड़े में 20 फीसदी बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है। यूनियन ने डीजल की कीमतों की हर महीने या तिमाही समीक्षा करने की मांग की है।
फल, सब्जी, एफएमसीजी वस्तुएं हो सकती हैं महंगी- माल ढुलाई बढ़ने से फल-सब्जियों की कीमत में उछाल आना तय है। वहीं, एफएमसीजी वस्तुओं की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है। डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण माल ढुलाई में इजाफे का असर एक साथ पूरे देश पर दिखाई देगा।
इससे एफएमसीजी कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा और वे कीमतों में बढ़ोतरी को मजबूर हो जाएंगी. फल और सब्जियों की कीमतों में ढुलाई का हिस्सा दूसरी वस्तुओं के मुकाबले ज्यादा होता है। दरअसल, अलग-अलग किसानों के पास कम मात्रा में फल-सब्जी होती हैं।
उन्हें अपने उत्पाद मंडी तक पहुंचाने में बड़ी कंपनियों के मुकाबले ज्यादा खर्च करना पड़ता है। फलों के मामले में हालात कुछ ज्यादा ही अलग हैं। फलों को अलग-अलग राज्यों से पहले दिल्ली लाया जाता है। इसके बाद उनका पूरे देश में वितरण होता है. ऐसे में माल ढुलाई बढ़ने पर फलों की कीमतों में तेज वृद्धि हो सकती है।
दिल्ली में कुछ दिनों पहले टमाटर 10-15 रुपये किलो बिक रहा था. वहीं, अब ये 80-100 रुपये किलो तक चला गया है। यही नहीं, अन्य हरी सब्जियां और आलू ने भी उसी के पीछे-पीछे चलना शुरू कर दिया है।
माल भाड़े में 20 फीसदी की हो सकती है बढ़ोतरी – ऑल इंडिया मोटर्स ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के पूर्व अध्यक्ष और कोर कमेटी के अध्यक्ष बाल मलकीत सिंह ने पीटीआई को बताया कि डिमांड पहले से ही कम है और करीब 55 फीसदी वाहन खड़े हैं। ऐसे में इसे जारी रखना मुश्किल है। क्योंकि कोरोना वायरस के चलते लागू किए गए लॉकडाउन से सड़क परिवहन क्षेत्र तबाह हो रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में ट्रक परिचालन को बनाए रखने के लिए आज नहीं तो कल निश्चित रूप से भाड़े में वृद्धि करनी होगी। उन्होंने कहा कि उनके सामने इस लागत को ग्राहकों के ऊपर डालने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं है। सिंह ने कहा कि इस समय कारोबार को बनाए रखने के लिए माल भाड़े में 20 फीसदी की बढ़ोतरी जरूरी है।
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