वाराणसी। कहा जाता है कि काशी में आने से मोक्ष की प्राति हो जीती है। इसलिए यहां हर साल बड़ी संख्या में लोग अपने प्राणों को त्यागने आते हैं। लेकिन अब शायद इन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि स्थानीय प्रशासन ने अंतिम संस्कार के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों से मृतक व्यक्ति के आधार कार्ड की जांच करने के निर्देश प्रशासन के अधिकारियों को दिए गए हैं।
आ रही जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) के सहयोग से अंतिम संस्कार के लिए आधार को जरूरी बना दिया गया है। आपको बता दें कि नियम लागू होने के बाद से जिनके पास आधार कार्ड नहीं होगा उन्हें शव ढोने वाले मोटरबोट्स की सेवा का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मणिकर्णिका घाट पर शव को मोटरबोट से ले जाने की सेवा गुजरात की एक संस्था देती है।
ये संस्था सुधांशु मेहता की है। मेहता की संस्था ने इस सेवा की शुरुआत 2015 में की। समझा जाता है कि स्थानीय प्रशासन के इस कदम का लोग विरोध कर सकते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि काशी में देह त्यागने से स्वर्ग मिलता है। यह लोगों की आस्था का विषय है क्योंकि बहुत से ऐसे अभी लोग हैं जिनके पास आधार कार्ड नहीं है। गौरतलब है कि भाजपा की केंद्र सरकार आधारकार्ड को लेकर बेहद ही सजग दिखाई दे रही है। बैंक अकाउंट से लेकर मोबाइल नंबर से आधार को लिंक करने कवायद सरकार की ओर से लगातार जारी है।
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