यूनिक समय, मथुरा। भगवान शिव के भक्त, शिव तांडव स्त्रोत के रचियता प्रकांड विद्वान महापंडित दशानन की यमुनापार स्थित शिव मंदिर पर महा आरती की गई। रावण के स्वरूप द्वारा भगवान भोलेनाथ की उपासना की गई। शिव भक्तों ने रावण के पुतला दहन का विरोध किया गया।
विजय दशमी पर्व पर जहां देश भर में रावण दहन हो रहा है वही लंकेश भक्तों ने यमुनापार स्थित शिव मंदिर पर रावण के स्वरूप की विधि विधान से पूजा अर्चना की। सारस्वत ब्राह्मणों के अलावा अन्य शिव भक्तों ने भी रावण की महा आरती की। रावण स्वरूप के द्वारा सनातन विधि से भगवान भोलेनाथ की शिव लिंग पर जलाभिषेक किया। रावण स्वरूप एवं शिव भक्तों ने भोले नाथ की आरती की गई। बाद में फिर लंकेश भक्तों ने महाराज दशानन की महा आरती की।
लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत एडवोकेट ने कहा कि रावण प्रकांड विद्वान महापंडित थे। भगवान श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने को रावण से भगवान भोलेनाथ की पूजा कराई थी। रावण सीता को अशोक वाटिका के अपने साथ लेकर आए थे। भगवान श्री राम ने जब उन्हें अपना आचार्य बनाया था तो अब हमारी समाज के कुछ लोग उनका पुतला दहन करके क्यों अपमान कर रहे है।
हिंदू संस्कृति में एक व्यक्ति का एक बार ही अन्तिम संस्कार किया जाता हैं। प्रकांड महा ज्ञानी महात्मा रावण का पुतला दहन बंद होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिस तरह सती प्रथा बंद हुई है, उसी तरह रावण का पुतला दहन भी बंद होना चाहिए। रावण का पुतला दहन एक तरह से ब्राह्मणों के साथ-साथ विद्वता का भी अपमान है।इस अवसर पर संजय सारस्वत, देवेंद्र वर्मा, हरिश्चंद सारस्वत, ब्रजेश सारस्वत, सुनील सारस्वत, एस के सारस्वत, यमुना प्रसाद यादव, चंद्रमोहन सारस्वत, देवेंद्र सारस्वत, किशन सारस्वत, अनिल सारस्वत, अजय सारस्वत, कृष्ण गोपाल सारस्वत, मुकेश सारस्वत, डा. देव बालयोगी, रजत सारस्वत, भूपेंद्र धनगर एवं अरुण भारद्वाज आदि उपस्थित थे। मंदिर में जय लंकेश के जय शिव के नारे लगाए गए।
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