लॉकडाउन: सांप या चमगादड़ नहीं विलुप्त होते इस जानवर से फैला कोरोना वायरस!

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के फैलने के साथ ही वैज्ञानिक ये पता करने में जुट गए थे कि ये संक्रमण किस जीव के जरिये मनुष्‍यों तक पहुंचा। शुरुआत में कहा गया कि सांप और चमगादड़ का सूप पीने की वजह से कोरोना वायरस फैला। अब चीनी वैज्ञानिकों ने पैंगोलिन में ऐसे वायरस मिलने की पुष्टि कर दी है, जो पूरी दुनिया में बर्बादी फैला रहे कोरोना वायरस से मिलता-जुलता है। चीन की साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कुछ समय पहले ही कहा था कि कोरोना वायरस के लिए पैंगोलिन जिम्मेदार है। उनका दावा था कि इंसानों में संक्रमण फैलने की वजह पैंगोलिन है। उनका कहना था कि कोरोना वायरस चमगादड़ से पैंगोलिन और फिर पैंगोलिन से इंसान में पहुंचं. हालांकि, तब दुनियाभर के विशेषज्ञों ने रिसर्च पर सवाल उठाए थे।

Coronavirus: सांप या चमगादड़ नहीं विलुप्‍त होते इस जानवर ने संक्रमण फैलाकर इंसानों को मुसीबत में डाला

चीन में दवा बनाने और खाने के लिए होता है पैंगोलिन का इस्‍तेमाल
अब नेचर जर्नल में प्रकाशित एक नए शोधपत्र के मुताबिक, पैंगोलिन का जेनेटिक डेटा दिखाता है कि इन जानवरों को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. इनकी बाजारों में बिक्री पर कड़ी पाबंदी लगाई जानी चाहिए. एक अंतरराष्ट्रीय टीम का कहना है कि भविष्य में ऐसे संक्रमण टालने के लिए सभी जंगली जीवों की बाजारों में बिक्री पर रोक लगाई जानी जरूरी है. पैंगोलिन ऐसा स्तनधारी जीव है, जिसकी खाने और पारंपरिक दवाइयां बनाने के लिए सबसे ज्‍यादा तस्करी होती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन और दक्षिणपूर्व एशिया के जंगलों में पाए जाने वाले पैंगोलिन की अतिरिक्त निगरानी से कोरोना वायरस के उभरने में उनकी भूमिका और भविष्य में इसांनों में उनके संक्रमण के खतरे के बारे में पता लग सकेगा. ये जीव चींटियां खाता है. दुनिया भर में सबसे अधिक तस्करी के कारण ये जीव विलुप्त होने की कगार पर है. चीन में पैंगोलिन की खाल से स्किन और गठिया से जुड़ी दवाइयां बनाई जाती हैं. कुछ लोग इसके मांस को स्वादिष्ट मानते हैं.

शोधकर्ताओं ने 1,000 जंगली जानवरों के सैंपल लेकर की रिसर्च
गुआंगझू की साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसे समझने के लिए 1,000 जंगली जानवरों के सैंपल लिए. शोधकर्ता शेन योंगी और जिओ लिहुआ का दावा है कि मरीजों से लिए गए सैंपल में मौजूद कोनोरावायरस और पैंगोलिन का जीनोम सिक्वेंस 99 फीसदी मेल खाता है. पहले चीन के शोधकर्ताओं की रिसर्च पर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वेटिनरी मेडिसिन साइंस के प्रोफेसर जेम्स वुड ने कहा था कि जीनोम सिक्वेंस के आधार पर वायरस की पुष्टि करना पर्याप्त नहीं है. उनका कहना था कि 99 फीसदी जीनोम सिक्वेंसिंग की वजह संक्रमित माहौल भी हो सकता है. इस पर और अधिक रिसर्च की जरूरत है. इसके बाद चीन के शोधकर्ताओं ने रिसर्च को आगे बढ़ाया. अब नए नतीजे से काफी हद तक साफ हो गया है कि इसी जीव के कारण कोरोना वायरस फैला है.

छत्‍तीसगढ़ में 15 लाख की पैंगोलिन के साथ पकड़े गए थे तस्‍कर
पैंगोलिन भारत में भी कई इलाकों में पाया जाता है. छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के जंगल से पैंगोलिन लाकर बेचने के फिराक में घूम रहे दो ग्रामीणों को 2 मार्च, 2020 को ही गिरफ्तार किया गया था. बरामद किए गए पैंगोलीन की बाजार में कीमत करीब 15 लाख रुपये आंकी गई थी, जबकि भारत में इसे तस्करी के जरिये 20 से 30 हजार रुपये में बेचा जाता है. चीनी संरक्षणविद कहते हैं कि पैंगोलिन चीन में बहुत कम होते हैं. इसलिए इनके अवैध आयात को बढ़ावा मिलता है. एशियन पैंगोलिन के व्यापार पर 2000 में प्रतिबंध लगा दिया गया था. 2017 में इसकी सभी आठों प्रजातियों के व्यापार पर पूरी दुनिया में प्रतिबंध लगा दिया गया था.

चीन में 200 से ज्‍यादा कंपनियां इसके शल्‍क से बनाती हैं दवाई
चाइना बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन एंड ग्रीन डेवलपमेंट फाउंडेशन के अनुसार, चीन में 200 से ज्यादा दवा कंपनियां और 60 पारंपरिक दवा ब्रांड पैंगोलिन के शल्क से दवाएं बनाते हैं. भारतीय पैंगोलिन का वैज्ञानिक नाम मैनिस क्रैसिकाउडाटा है. ये पैंगोलिन की एक जाति है जो भारत, श्रीलंका, नेपाल और भूटान में कई मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है. पैंगोलिन की आठ जातियों में ये एक है. छत्‍तीसगढ़ के अलावा हिमाचल प्रदेश के जंगलों में भी होता है, जिसे स्थानीय भाषा में सलगर कहते हैं.

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