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नई दिल्ली। राजनीति की माहिर खिलाड़ी माने जाने वालीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर केंद्र की बीजेपी सरकार का समर्थन कर एक बार फिर सबको चौंका दिया है. उन्होंने सोमवार को ट्वीट कर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा बिना अनुमति के कश्मीर जाने को अनुचित ठहराया. उनका कहना है कि 69 साल बाद जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां पर हालात सामान्य होने में थोड़ा वक्त लगेगा. ऐसे में कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं का कश्मीर जाना केंद्र और वहां के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा है।
आखिर समर्थन क्यों?
दरअसल, मायावती के इस रुख से एक बार फिर सियासी गलियारों में चर्चा है कि आखिर राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धुर विरोधी रहीं मायावती उनका समर्थन क्यों कर रही हैं? बीजेपी प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी का कहना है कि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जो भी दल इस फैसले का स्वागत करता है वह भाजपा के लिए स्वागत योग्य है. मायावती ने संसद में भी इस बिल का समर्थन किया था. लेकिन, कुछ लोग हैं जो पाकिस्तान जैसी सोच के साथ काम कर रहे हैं.
भाई पर लगे हैं बेनामी संपत्ति रखने के आरोप
कई लोगों का आरोप है कि इन दिनों केंद्रीय जांच एजेंसी भ्रष्टाचार को लेकर काफी सख्त है. पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया केस में गिरफ्तार हो चुके हैं. मायावती के भाई आनंद कुमार पर भी बेनामी संपत्ति रखने का आरोप है. ऐसे में वह सरकार का समर्थन कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर सकती हैं. हालांकि, शलभमणि कहते हैं यह राष्ट्र से जुड़ा मुद्दा है. कोई भी पार्टी बीजेपी की घोर निंदा करे उसके नेताओं पर आरोप लगाए हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जब बात राष्ट्र की हो तो सभी को एक होना चाहिए. कश्मीर पर जो राग पाकिस्तान अलाप रहा है और वह वहां जैसी स्थिति पैदा करना चाहता है, उसे कुछ लोग यहां समर्थन कर रहे हैं. अगर ऐसे में मायावती राष्ट्रहित में विपक्षी दलों को नसीहत दे रही हैं तो उसका स्वागत है।
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