महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को एक्ट्रेस कंगना रनौत का जिक्र करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि पार्टी एक ऐसे व्यक्ति का समर्थन करती है जिसने मुंबई-महाराष्ट्र को पाकिस्तान और पुलिस को माफिया बुलाया है।
उन्होंने पुणे में कहा- “उस एक्ट्रेस का नाम लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता, वह इसके लायक नहीं हैं। उनका नाम लिए बिना, मैं यह कहना चाहूंगा कि समाज को यह सोचना चाहिए कि क्या कोई राजनीतिक पार्टी मुंबई-महाराष्ट्र को पाकिस्तान और पुलिस को माफिया कहने वाले व्यक्ति को संरक्षण देती है।” इससे पहले देशमुख ने कंगना को शिवसेना सांसद संजय राउत और अन्य शिवसेना नेताओं द्वारा जुबानी जंग होने के मद्देनजर केंद्र द्वारा दी गई ‘वाई’ स्तर की सुरक्षा पर भी सवाल उठाया था।
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उन्होंने कहा था- “यह हैरानी और दुख की बात है कि मुंबई और महाराष्ट्र का अपमान करने वालों को केंद्र द्वारा ‘वाई’ स्तर की सुरक्षा दी जा रही है। महाराष्ट्र न केवल एनसीपी, शिवसेना या कांग्रेस का है, बल्कि भाजपा और जनता का भी है। सभी दलों के लोगों को महाराष्ट्र का अपमान करने वाले व्यक्ति की निंदा करनी चाहिए।”
कंगना बनाम शिवसेना कंगना ने सुशांत सिंह राजपूत मामले को लेकर मुंबई पुलिस पर सवाल उठाए थे जिसके बाद राउत ने उन्हें शहर वापस ना आने की ‘धमकी’ दी। इसके बाद कंगना ने ‘मुंबई को पीओके’ बुला दिया। फिर राउत द्वारा उन्हें अपमानजनक शब्द से बुलाने पर मामला और बिगड़ गया। फिर कंगना के मुंबई आने से पहले ही बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने उनके ऑफिस में ‘अवैध निर्माण’ का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ शुरू कर दी। रनौत के हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने के बाद उसी दिन अदालत ने BMC की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। इसके बाद 15 सितंबर को कंगना ने अपनी संशोधित याचिका में BMC की कार्रवाई को लेकर मुआवज़े के रूप में दो करोड़ रुपये की मांग की है।
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हालांकि, कंगना के दावों को ‘निराधार और फर्जी’ बताते हुए, BMC ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक अतिरिक्त हलफ़नामा दाखिल किया है। BMC ने अपने हलफनामे में कोर्ट से कंगना रनौत की याचिका खारिज करने और ऐसी याचिका दाखिल करने के चलते उन पर जुर्माना लगाने का अनुरोध किया है। जिसके जवाब में कंगना ने उन्हें ‘नगरपालिका कानून’ पढ़ाया है। कंगना ने बताया कि ‘कैसे नागरिक निकाय कुछ भी तोड़ने से पहले 15 दिन का नोटिस देने के लिए बाध्य है और इस नियम का उल्लंघन करने पर नगरपालिका अधिकारियों को ही नुकसान की भरपाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
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