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पटाखा फैक्टरी को नियमों के उल्लंघन के चलते कलेक्टर ऋषि गर्ग ने सील किया था। बाद में उस समय के नर्मदापुरम कमिश्नर मालसिंह ने स्टे हटाया था। हादसे के बाद वह सवालों से घिर गए हैं।
हरदा पटाखा फैक्टरी में विस्फोट के बाद नर्मदापुरम के पूर्व और इंदौर के मौजूदा कमिश्नर मालसिंह सवालों से घिर गए हैं। उन पर आरोप है कि कलेक्टर ऋषि गर्ग ने जब इस फैक्टरी को सील किया था तो उन्होंने ही कार्यवाही पर स्टे देकर फिर से उसे खुलवाया। फैक्टरी में आवश्यकता से ज्यादा विस्फोटक सामग्री के भंडारण, रहवासी क्षेत्र में फैक्टरी का संचालन अफसरों को कटघरे में खड़ा कर रहा है। अब अफसर कुछ बोलने से बच रहे हैं।
दीपावली के समय तत्कालीन एसडीएम ने जांच की थी। इसके बाद कलेक्टर ऋषि गर्ग ने फैक्टरी को सील कर दिया था, लेकिन कुछ दिनों बाद फैक्टरी फिर खुल गई। नर्मदापुरम के तत्कालीन संभागायुक्त मालसिंह ने फैक्टरी मालिक राजेश अग्रवाल को स्टे दे दिया था। इसके बाद फिर फैक्टरी का संचालन शुरू हो गया था। माल सिंह फिलहाल इंदौर के संभागायुक्त है।
फैक्टरी में 18 साल से कम उम्र के बाल श्रमिकों से काम कराया जाता था। फैक्टरी के मुख्य गेट पर काम के दौरान ताला लगाया जाता था। अग्नि हादसे को रोकने के लिए फैक्टरी में सुरक्षा के इंतजाम भी पर्याप्त नहीं थे। आम तौर पर पटाखा फैक्टरी बसाहट वाले क्षेत्रों से दूर होना चाहिए, लेकिन यह फैक्टरी रहवासी क्षेत्र में 10 सालों से संचालित हो रही थी। एसडीएम केसी परते का कहना है कि हादसे में गलती किसकी है। यह जांच के बाद ही पता चलेगा। मैं थोड़े समय पहले ही पदस्थ हुआ हुं। फैक्टरी पहले सील की जा चुकी है।
इंदौर के मौजूदा कमिश्नर मालसिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दो-ढाई साल पुराना केस है। मेरे पास यह रुटीन अपील में आया था। तब ऐसी स्थिति नहीं थी। मैंने कलेक्टर को इनका पक्ष सुनकर नियमानुसार मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए थे। दिवाली की वजह से अगली पेशी तक स्टे दिया था। फैक्टरी को पूरी तरह खोलने के लिए नहीं कहा था।
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