
यूनिक समय, मथुरा। आज रीसाइक्लिंग डे के मौके पर, मथुरा जिले में कबाड़े के व्यवसाय की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। यहां हर दिन 300 टन से ज्यादा गत्ते और प्लास्टिक स्क्रेप के रूप में बिकने के लिए कबाड़ियों की दुकानों पर आता है, जिसे फिर से रीसाइक्लिंग के लिए फैक्ट्रियों में भेजा जाता है।
मथुरा में एक दर्जन से अधिक फैक्ट्रियां हैं जहां प्लास्टिक और गत्ते का रिसाइक्लिंग होता है। इन फैक्ट्रियों में कबाड़े को पिघलाकर नया प्लास्टिक दाना बनाया जाता है, जिसे फिर से प्रोडक्ट बनाने वाली फैक्ट्रियों को आपूर्ति किया जाता है। इस प्रक्रिया से न सिर्फ कबाड़े का निस्तारण होता है, बल्कि कई परिवारों का जीवन यापन भी जुड़ा हुआ है। कबाड़ी अपनी दुकानें हर गांव, कस्बे और शहर में चला रहे हैं, और वे घरों से निकलने वाले कबाड़े को खरीदकर उसे रिसाइक्लिंग के लिए इन फैक्ट्रियों तक पहुंचाते हैं।
भूतेश्वर के एक कबाड़ व्यापारी फरीद ने बताया कि गत्ते की काफी अच्छी खपत हो रही है, और इसकी कीमत इस समय 17 रुपये प्रति किलो है। इसके अलावा, गोकुल रेस्टॉरेंट के पास भगवती ट्रेडर्स जैसे बड़े व्यापारी भी कबाड़े का काम कर रहे हैं, जहां से गत्ते की बिक्री होती है। नफीस कबाड़िया, जो नई बस्ती से हैं, ने बताया कि प्लास्टिक का कबाड़ भी काफी आ रहा है। हालांकि, पहले प्लास्टिक के दाम गत्ते से महंगे थे, अब प्लास्टिक के दाम घट गए हैं। इसके बावजूद, यह कारोबार 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहा है।
इस तरह से मथुरा जिले में कबाड़े का रिसाइक्लिंग का काम न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन भी बन चुका है।
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