4 दिन तक मथुरा में अपना रौद्र रूप दिखाने के बाद अब यमुना के जलस्तर में मामूली कमी देखने को मिली है। खतरे के निशान से 1 मीटर 34 CM पर बह रही यमुना के पानी में अब 7 CM की गिरावट हुई है। मथुरा में बाढ़ से 4 तहसील क्षेत्रों के इलाके प्रभावित हुए हैं।
मथुरा में बाढ़ का प्रभाव 5 तहसील क्षेत्रों में से 4 पर पड़ा। यहां की छाता,मांट,सदर और महावन तहसील के करीब 116 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। वहीं हजारों मकान ऐसे हैं जो पानी में डूब गए। हजारों एकड़ फसल जलमग्न होने के कारण बर्बाद हो गई। हालांकि अब यमुना के जल में गिरावट होना शुरू हुआ तो लोगों ने राहत की सांस ली।
उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त जी एस धर्मेश के अनुसार मथुरा में यमुना के जलस्तर से सदर तहसील के राजपुर,जयसिंह पुरा, मथुरा बांगर,वृंदावन बांगर,खादर और औरंगाबाद क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हुआ है। अभी तक 1200 से ज्यादा लोगों को सदर तहसील क्षेत्र में राहत शिविर में पहुंचा दिया है। वहीं 166 पशुओं को भी रेस्क्यू किया गया। इसी तरह मांट तहसील के दौलतपुर,फिरोजपुर,जहांगीरपुर, डांगौली क्षेत्र के 325 ,छाता तहसील के बाबूगढ़ सहित अन्य गांव से 850 लोगों को राहत शिविर पहुंचाया गया है।
यमुना में बढ़े जलस्तर की वजह से अब तक 2 युवकों की मौत हो चुकी है। पहला मामला रविवार का है। वृंदावन के पानीघाट क्षेत्र में जितेंद्र उर्फ जीतू घर के बाहर आई बाढ़ से निकलकर सुरक्षित स्थान की तरफ जा रहा था कि तभी वह एक गहरे पानी में चले जाने के कारण डूब गया और हादसे का शिकार हो गया। दूसरा हादसा सोमवार देर शाम हुआ।
वृंदावन के ही राजपुर इलाके के रहने वाले दो दोस्त यमुना जी के पक्के पुल पर बाढ़ देखने गए थे। यमुना की लहरों को देखकर वह नहाने चले गए। नहाने के दौरान दोनों युवक डूबने लगे। मौके पर मौजूद गोताखोर युवकों को डूबता देख उनको बचाने दौड़े। गोताखोर मनोज और दुर्गेश को बाहर निकाल लाए और इलाज के लिए अस्पताल भिजवाया। जहां डॉक्टरों ने मनोज को मृत घोषित कर दिया।
यमुना के जलस्तर में भले ही मामूली गिरावट आई हो लेकिन अभी खतरा बना हुआ है। मथुरा वृंदावन के अधिकांश इलाकों में यमुना का पानी भरा हुआ है। सबसे बड़ी दिक्कत निचले इलाकों में बसी आबादी पर है। यहां यमुना का जलस्तर 3 से 4 दिन में कम होने की उम्मीद जताई जा रही है। फिलहाल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को राहत शिविरों में पनाह दी गई है।
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