मथुरा: गोकुल से वृंदावन तक अब यमुना में दौड़ेगी सोलर बोट

गोकुल से वृंदावन तक दौड़ेगी सोलर बोट

यूनिक समय, मथुरा। भगवान कृष्ण के गांव गोकुल से बांके बिहारी की नगरी वृंदावन तक यमुना जलमार्ग विकसित करने की योजना अब जल्द ही आकार लेने जा रही है। अगले माह मई के अंत तक यमुना किनारे जेट्टी बनकर तैयार हो जाएंगी। इसके लिए एमवीडीए और जलमार्ग प्राधिकरण ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की पहल पर मथुरा में यमुना जलमार्ग विकसित होने जा रहा है। इस योजना को आकार देने के लिए भारतीय अंतरराज्यीय जलमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष विजय कुमार की अध्यक्षता में ऑनलाइन बैठक हुई।

बैठक में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र, सीईओ श्याम बहादुर सिंह, संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश जलमार्ग, पर्यावरण विशेषज्ञ मुकेश कुमार समेत नगर निगम, सिंचाई विभाग व अन्य अधिकारी शामिल हुए। बैठक में परियोजना की वर्तमान प्रगति पर चर्चा की गई। बताया गया कि गोकुल से वृंदावन तक 22 किलोमीटर लंबे इस जलमार्ग में 11 जेट्टी बनकर तैयार होंगी। पहले चरण के तहत 8 जेटी बनाई जाएंगी, जिनमें से तीन मथुरा और पांच वृंदावन में होंगी।

जल मार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष विजय कुमार ने बताया कि जेट्टी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मई के अंत तक कुछ जेटी बनकर तैयार हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि मथुरा जल मार्ग के लिए जहाज लाना संभव नहीं है। इसका आकार और दूरी समस्या बन रही है। इसे देखते हुए अब फाइबर बोट का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने यमुना में कई स्थानों पर पानी कम होने की समस्या उठाई। इसके लिए संयुक्त समिति से सर्वे कराने का निर्णय लिया गया। एआरटीओ के स्तर पर नावों का पंजीकरण किया जाएगा। इसके तहत विकसित होने वाली जेटी की सुविधाओं का उपयोग स्थानीय नाविक भी कर सकेंगे।

उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने कहा कि नावें सोलर और बैटरी से चलने वाली होनी चाहिए। डीजल पेट्रोल का इस्तेमाल न किया जाए। उन्होंने देवरहा बाबा घाट और केसी घाट के पांटून पुल की समस्या उठाई, जिससे वृंदावन तक नावों का संचालन संभव नहीं हो पाएगा। तकनीकी टीम के माध्यम से इस समस्या का समाधान निकालने का निर्णय लिया गया।

विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एसवी सिंह ने बताया कि जेटी के आसपास जन सुविधाएं विकसित करने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि जलमार्ग में बन रही जेटी का उपयोग स्थानीय नाविक भी कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि इस परियोजना की लागत 28 करोड़ रुपये से अधिक है।

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