श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में मंदिर पक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखने की तैयारी में जुटा है। वाद में उन पुस्तकों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिनमें ठाकुर केशवदेव मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने व यहां से श्रीविग्रह ले जाने की बात लिखी है।
वादी पक्ष इनका संकलन कर रहा है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में 16 वाद न्यायालय में दायर हुए। इनमें श्रीकृष्ण जन्मस्थान से शाही मस्जिद ईदगाह को हटाकर पूरी 13.37 एकड़ भूमि मंदिर ट्रस्ट को देने की मांग की गई है। हाई कोर्ट के आदेश पर सभी वादों को सुनवाई के लिए अब इलाहाबाद स्थानांतरित किया जा चुका है।
हाई कोर्ट के इस आदेश के विरुद्ध ईदगाह कमेटी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दायर कर सभी वादों की सुनवाई मथुरा में ही किए जाने की मांग की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन सप्ताह में हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी है। अब वादी पक्ष तैयारी में जुटा है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष व अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि पुस्तकों में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर स्थित ठाकुर केशवदेव मंदिर को औरंगजेब और उससे पूर्व के शासकों द्वारा तोड़कर शाही मस्जिद ईदगाह बनाने और मंदिर के श्रीविग्रह को आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबाए जाने का उल्लेख है।
इन पुस्तकों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करेंगे। अदालत में औरंगजेब के दरबारी साकी मुस्तैद खान द्वारा लिखित मआसिर-ए-आलमगीरी (अंग्रेजी अनुवाद: सर जदुनाथ सरकार), वीएस भटनागर द्वारा लिखित एम्परर औरंगजेब एंड डिस्ट्रक्शन आफ टेंपल, मथुरा में अंग्रेज कलक्टर रहे एफएस ग्राउस द्वारा लिखित मथुरा डिस्ट्रिक्ट मेमोयर व देवी प्रसाद द्वारा लिखित औरंगजेबनामा को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
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