नई दिल्ली। केंद्र सरकार करीब मेडिकल डिवाइसों की कीमत नियंत्रित करने की योजना बना रही है। मेडिकल डिवाइसों पर सरकार पहले 30 प्रतिशत मार्जिन तय करने पर विचार कर रही है। सरकार के इस कदम से मेडिकल डिवाइस सस्ते हो सकते हैं। मनमानी कीमत को लेकर सरकार मैन्यूफैक्चर और अस्पतालों पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है। नीति आयोग ने मेडिकल डिवाइस की बेलगाम कीमतों पर लगाम लगाने का फॉर्मूला बनाया है। उसने 3 फॉर्मूले सरकार को सुझाए है। पहले फॉर्मूले के तहत इंपोर्ट लागत और मार्जिन सरकार तय करेगी। दूसरे फॉर्मूले में स्टॉकिस्ट की कीमत और मार्जिन सरकार तय करेगी और तिसरे फॉर्मूले में इंपोर्ट लागत, मार्केटिंग का खर्च और मार्जिन सरकार तय करेगी। मेडिकल डिवाइसों पर कंपनी कीमत पर 30% मार्जिन की अनुमति दी जा सकती है। हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ एक बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई। मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री फिलहाल करीब 10 अरब डालर की है। अगले कुछ वषरें में इसके बढ़कर 20 अरब डालर होने का अनुमान है। मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री में मेडिकल डिस्पोजेबल्स एंड कंज्यूमेबल्स, मेडिकल उपकरण और इंप्लांट्स जैसी चीजें आती हैं। भारत अपनी जरूरत की 75 प्रतिशत से अधिक मेडिकल डिवाइस आयात करता है। सरकार को मेडिकल डिवाइस की कीमत पर अंकुश लगाने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मेडिकल डिवाइस के आयात मूल्य और उपभोक्ता द्वारा चुकाए जाने वाली कीमत में बड़ा अंतर है। ऐसें में जब इलाज के दौरान किसी मरीज को मेडिकल डिवाइस की जरूरत पड़ती है तो उसे इसके लिए बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है।
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