मंत्रियों में झगड़ा: इस कुर्सी पर बैठने को लेकर विवाद, पवार ने बुलाई बैठक, किसका है हक

नई दिल्ली- महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार के डेढ़ महीने भी पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन इसमें आए दिन टकराव और विवाद की खबरें आ रही हैं। पहले चर्चा थी कि जिन्हें मंत्री नहीं बनाया गया है वे नेता नाराज हैं। फिर मंत्री बनने वाले भी कैबिनेट का दर्जा नहीं मिलने की वजह से नाराज हो गए और अब ऐसे मंत्री भी सामने आ रहे हैं जो मनमर्जी का विभाग नहीं मिलने की वजह से कैबिनेट की बैठक का ही बायकॉट करने लगे हैं। लेकिन, इन सबके बीच मंगलवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की बगल वाली सीट पर बैठने को लेकर दो सीनियर कैबिनेट मंत्रियों के बीच कैबिनेट की बैठक में ही तू-तू-मैं-मैं की नौबत आ गई। स्थिति ऐसी हो गई है कि जानकारी के मुताबिक एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को अपनी पार्टी के सभी मंत्रियों और विधायकों की एक बैठक बुलानी पड़ी है।

सीएम की बगल वाली सीट पर बैठने के लिए भिड़े दो मंत्री

मंगलवार को मंत्रालय ने कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की बगल वाली सीट पर बैठने को लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और एनसीपी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम छगन भुजबल के बीच जुबानी जंग छिड़ गई। जानकारी के मुताबिक चव्हाण को इस बात की आपत्ति थी कि मुख्यमंत्री ठाकरे की बगल वाली कुर्सी भुजबल को कैसे आवंटित कर दी गई। सूत्रों के मुताबिक चव्हाण की दलील ये थी कि वे पूर्व मुख्यमंत्री हैं और भुजबल डिप्टी सीएम लिहाजा उन्हें एनसीपी नेता से ज्यादा सम्मान मिलना चाहिए। हालांकि, बाद में भुजबल ने सीट पर बैठने को लेकर किसी तरह के विवाद होने की बातों का खंडन किया। उनके मुताबिक, ‘असल में चव्हाण मंत्रालय में मेरे चैंबर में थे, क्योंकि उनका चैंबर अभी भी तैयार नहीं हुआ है। हम दोनों कैबिनेट की बैठक के लिए साथ-साथ गए।’ बता दें कि कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण को उद्धव ठाकरे सरकार में पीडब्ल्यू मंत्री बनाया गया है। जबकि, छगन भुजबल को फूड एंड सिविल सप्लाइज विभाग का जिम्मा सौंपा गया है। कहा जा रहा है कि ये दोनों नेता अपने-अपने विभागों से भी संतुष्ट नहीं हैं। क्योंकि,उन्हें लगता है कि उनके पुराने ओहदे के मुताबिक इन्हें कोई और भारी-भरकम विभाग की जिम्मेदारी नहीं मिली है।

मंत्री ने कैबिनेट की बैठक का किया बायकॉट

उद्धव कैबिनेट की बैठक में एक और अजीब स्थिति तब पैदा हो गई जब कैबिनेट मंत्री विजय वाडेत्तिवार ने उसका बहिष्कार कर दिया। वाडेत्तिवार को प्रदेश में ओबीसी वेलफेयर, साल्ट लैंड डेवलपमेंट और भूकंप पुनर्वास जैसे विभागों का मंत्री बनाया गया है, लेकिन उन्हें लगता कि इन विभागों की कोई अहमियत नहीं है, इसलिए वे नाराज हो गए हैं। वाडेत्तिवार पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता थे और वे विदर्भ क्षेत्र से आने वाले कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते हैं। यही वजह है कि वे पार्टी की उस टीम में भी शामिल थे, जिन्होंने शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की डील पर बातचीत की थी। सूत्रों के मुताबिक उन्हें लगता है कि हल्के विभाग देकर उनका अपमान किया गया है।

अब्दुल सत्तार भी दे चुके हैं इस्तीफे की धमकी

इससे पहले शिवसेना के नेता अब्दुल सत्तार ने भी मंत्री पद से इस्तीफे की धमकी दी थी। उन्हें इस बात की नाराजगी है कि वादे के मुताबिक उद्धव ने उन्हें कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया है। गौरतलब है कि अभी वे राजस्व विभाग में राज्यमंत्री हैं, लेकिन इस पद से वे संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं। बता दें कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और अपने साथ 6 लोगों को मंत्री बनाया था। पहले उन 6 मंत्रियों के विभागों के बंटवारे में उन्हें 14 दिन लग गए। इसके बाद कैबिनेट विस्तार में उन्हें 18 दिन और लगे तब जाकर 36 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसके बाद उन्हें 5 दिन और लगे तब जाकर सबको विभाग आवंटित किए जा सके, लेकिन उनका लपड़ा अभी भी खत्म नहीं हुआ है और तीनों सहयोगी दलों में असंतुष्ट नेताओं की भारी जमात तैयार हो चुकी है।

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